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एचडीएफसी बैंक पर 4.88 लाख और श्रीराम फाइनेंस लिमिटेड पर 2.70 लाख रुपये का जुर्माना

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 11, 2025 20:13 IST

Reserve Bank of India: आरबीआई द्वारा 31 मार्च, 2024 तक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में श्रीराम फाइनेंस का वैधानिक निरीक्षण किया गया था।

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ठळक मुद्देनिर्देशों का पालन नहीं करने के लिए उस पर जुर्माना क्यों न लगाया जाए।ग्राहकों के साथ किए गए किसी लेनदेन या समझौते की वैधता पर निर्णय देना नहीं है।निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक पर 4.88 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने ग्राहक को ऋण देते समय भारत में विदेशी निवेश से संबंधित कुछ मानदंडों के उल्लंघन के लिए निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक पर 4.88 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। केंद्रीय बैंक ने ‘भारतीय रिजर्व बैंक (डिजिटल ऋण) निर्देश, 2025’ के कुछ प्रावधानों का पालन न करने के लिए गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) श्रीराम फाइनेंस लिमिटेड पर भी 2.70 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। एचडीएफसी बैंक पर जुर्माने के संबंध में आरबीआई ने कहा कि उसने बैंक को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया था, जिसके जवाब में बैंक ने लिखित उत्तर और मौखिक रूप से भी स्पष्टीकरण दिया था। आरबीआई ने कहा, “मामले के तथ्यों और एचडीएफसी बैंक लिमिटेड द्वारा दिए गए जवाब पर विचार करने के बाद, भारतीय रिजर्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि उल्लंघन सिद्ध हो गए हैं और जुर्माना लगाना उचित है।” आरबीआई द्वारा 31 मार्च, 2024 तक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में श्रीराम फाइनेंस का वैधानिक निरीक्षण किया गया था।

केंद्रीय बैंक के निर्देशों का पालन न करने के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उस संबंध में संबंधित पत्राचार के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया था। नोटिस में उसे कारण बताने के लिए कहा गया था कि उक्त निर्देशों का पालन नहीं करने के लिए उस पर जुर्माना क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर कंपनी के जवाब, उसके द्वारा पेश अतिरिक्त स्पष्टीकरण तथा व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक स्पष्टीकरण पर विचार करने के बाद, आरबीआई ने कहा कि कंपनी के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सही पाए गए, जिसके लिए मौद्रिक जुर्माना लगाया जाना आवश्यक है।

आरबीआई ने कहा कि कंपनी ने ऋण भुगतान तीसरे पक्ष के खाते के माध्यम से किया, जबकि ऋण की राशि सीधे कंपनी के खाते में जमा की गयी थी। दोनों मामलों में, केंद्रीय बैंक ने कहा कि दंड नियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य संस्थाओं द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी लेनदेन या समझौते की वैधता पर निर्णय देना नहीं है।

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