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चीन की रियल एस्टेट कंपनी के ऋण संकट से वैश्विक निवेशकों में चिंता का माहौल

By भाषा | Updated: September 21, 2021 23:08 IST

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बीजिंग, 21 सितंबर (एपी) चीन की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों में से एक एवरग्रांड ग्रुप के अरबों डॉलर के कर्ज की अदायगी में चूक से बचने के लिए जारी प्रयासों के बीच वैश्विक निवेशकों में चिंता का माहौल है। इससे वित्तीय प्रणाली के लिए व्यापक खतरों को लेकर चिंता बढ़ गयी है।

चीनी नियामकों ने अभी तक यह नहीं कहा है कि वे एवरग्रांड ग्रुप के मामले में क्या करेंगे। लेकिन अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि एवरग्रांड और ऋणदाताओं के बीच कंपनी के ऋण संकट से निपटने के उपाय को लेकर सहमति न बनने पर चीन सरकार हस्तक्षेप करेगी। हालांकि, सरकार की ओर से पेश किए जाने वाले किसी भी हल में बैंकों और बॉन्डधारकों के लिए नुकसान शामिल होने की आशंका है।

ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के टॉमी वू ने एक रिपोर्ट में कहा कि चीन सरकार नहीं चाहती कि ऐसा लगे कि "वह कोई राहत या प्रोत्साहन दे रही है" लेकिन वह "प्रणालीगत जोखिम को कम करने और आर्थिक व्यवधान को कम करने" के लिए ऋण का पुनर्गठन कर सकती है।

निवेशकों की इस बात पर निगाह है कि हांगकांग के पास स्थित दक्षिणी शहर शेनझेन की रियल एस्टेट कंपनी बृहस्पतिवार को अपने एक बांड पर ब्याज भुगतान कैसे करती है।

1996 में स्थापित एवरग्रैंड चीन की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों में से एक है। कंपनी की कहना है कि उसके पास 350 अरब डॉलर की संपत्ति है। उसके संस्थापक शू जियायिन 2017 में देश के सबसे धनी उद्यमी थे। कंपनी ने बाद में इलेक्ट्रिक वाहन, हेल्थ क्लीनिक, मिनरल वॉटर सहित कई दूसरे कारोबारों में प्रवेश किया।

हांगकांग के शेयर बाजार में 2021 के बाद से कंपनी के शेयरों में 85 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है। उसके बांड भी इतने ही बुरी हालत में हैं।

शू ने ऋण से मिले धन से कंपनी खड़ी की। इस साल 30 जून तक कंपनी पर अलग-अलग ऋणदाताओं का 310 अरब डॉलर का कर्ज था।

एवरग्रैंड कर्ज पर निर्भरता कम करने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी के अभियान के हिस्से के रूप में रियल एस्टेट से संबंधित उधार पर नियामकों द्वारा लगायी गयी रोक की चपेट में आयी है।

अर्थशास्त्री एक दशक से चेतावनी देते रहे हैं कि चीन का बढ़ता कर्ज एक संभावित खतरा है। सत्तारूढ़ दल ने 2018 से इस तरह के वित्तीय जोखिमों को कम करने को प्राथमिकता दी है। लेकिन कॉरपोरेट, सरकार और परिवारों का ऋण आर्थिक उत्पादन के 270% (2018) से पिछले साल बढ़कर लगभग 300% हो गया। यह एक मध्यम आय वाले देश के लिए असामान्य रूप से अधिक है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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