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2500 रुपये से अधिक कीमत वाले परिधान-कपड़े महंगे, मध्य वर्ग को लगेगा झटका, जीएसटी दर 12 से बढ़ाकर 18 प्रतिशत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 4, 2025 22:18 IST

जीएसटी परिषद की बुधवार को हुई बैठक में 2,500 रुपये से अधिक बिक्री मूल्य वाले परिधान, कपड़े के सामान और अन्य रेडिमेड वस्त्रों पर जीएसटी दर को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने का फैसला किया गया।

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ठळक मुद्दे2,500 रुपये तक की कीमत वाले जूते-चप्पल पर कर को 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। 2,500 रुपये से अधिक कीमत वाले फुटवियर पर कर 18 प्रतिशत ही रहेगा। परिधान और जूते-चप्पल को 18 प्रतिशत की समान दर में रखने का फैसला मध्य वर्ग पर भारी पड़ सकता है।

नई दिल्लीः कपड़ा उद्योग से जुड़े संगठनों ने जीएसटी दर में बदलाव से 2,500 रुपये से अधिक कीमत वाले परिधानों एवं कपड़ों के महंगे हो जाने का अनुमान जताते हुए कहा है कि यह मध्य वर्ग की खरीद क्षमता को प्रभावित करेगा और संगठित खुदरा कारोबार एवं परिधान क्षेत्र कमजोर हो सकता है। जीएसटी परिषद की बुधवार को हुई बैठक में 2,500 रुपये से अधिक बिक्री मूल्य वाले परिधान, कपड़े के सामान और अन्य रेडिमेड वस्त्रों पर जीएसटी दर को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने का फैसला किया गया।

हालांकि 2,500 रुपये तक की कीमत वाले जूते-चप्पल पर कर को 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है जबकि 2,500 रुपये से अधिक कीमत वाले फुटवियर पर कर 18 प्रतिशत ही रहेगा। भारतीय खुदरा विक्रेता संघ (आरएआई) ने कहा कि 2,500 रुपये से अधिक कीमत वाले परिधान और जूते-चप्पल को 18 प्रतिशत की समान दर में रखने का फैसला मध्य वर्ग पर भारी पड़ सकता है।

और इससे देश में संगठित खुदरा एवं परिधान क्षेत्र भी कमजोर पड़ेगा। भारतीय कपड़ा विनिर्माता संघ (सीएमएआई) ने कहा कि 2,500 रुपये से अधिक दाम वाले परिधानों का इस्तेमाल आम आदमी के साथ मध्य वर्ग भी बड़ी संख्या में करता है। सीएमएआई ने कहा, ‘‘ऊनी कपड़े, पारंपरिक भारतीय परिधान, विशेष अवसरों पर पहने जाने वाले कपड़े, हैंडलूम, कढ़ाई वाले वस्त्र और बुनकरों द्वारा तैयार कपड़े प्रायः 2,500 रुपये से अधिक के होते हैं। अब इन पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगने से कीमतों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी।’’

दोनों संगठनों ने मांग रखी कि या तो सभी परिधानों पर कीमत को ध्यान में न रखते हुए पांच प्रतिशत जीएसटी लगाया जाए या फिर मूल्य सीमा को अधिक यथार्थवादी और उचित स्तर पर तय किया जाए। आरएआई ने खुदरा दुकानों के लिए वाणिज्यिक किराये पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने की पुरानी मांग भी दोहराई, ताकि खुदरा कारोबार टिकाऊ रह सके। इन आपत्तियों के बावजूद कपड़ा उद्योग से जुड़े संगठनों ने ‘सरल और न्यायसंगत कर प्रणाली’ के लिए दो-स्लैब वाले कर ढांचे और सभी तरह के रेशों के लिए समान नीति अपनाने का स्वागत किया। 

टॅग्स :जीएसटीछत्तीसगढ़Madhya PradeshGST Council
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