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ब्लॉग: असुरक्षित इंटरनेट से जुड़े खतरों की बढ़ती चुनौतियां

By योगेश कुमार गोयल | Published: February 06, 2024 10:03 AM

बच्चों तथा वयस्कों के लिए स्वस्थ इंटरनेट स्पेस बनाने के लिए ही 'सुरक्षित इंटरनेट दिवस' जैसे आयोजन की वैश्विक जरूरत महसूस की गई। पहली बार यह दिवस 6 फरवरी 2004 को मनाया गया था, जिसे यूरोपीय संघ द्वारा वित्त पोषित सेफ बॉर्डर्स परियोजना के भाग के रूप में शुरू किया गया था। 

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ठळक मुद्देफरवरी माह के दूसरे सप्ताह के दूसरे दिन 'सुरक्षित इंटरनेट दिवस' मनाया जाता हैइस साल 6 फरवरी को मनाया जा रहा हैयूरोपीय संघ द्वारा वित्त पोषित सेफ बॉर्डर्स परियोजना के भाग के रूप में शुरू किया गया

इंटरनेट से जुड़े खतरों की बढ़ती चुनौतियों के कारण ही अब इंटरनेट को सुरक्षित बनाने पर विशेष रूप से जोर दिया जा रहा है। खासकर बच्चों और युवाओं को ऑनलाइन तथा मोबाइल फोन के सुरक्षित व ज्यादा जिम्मेदार उपयोग के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष फरवरी माह के दूसरे सप्ताह के दूसरे दिन 'सुरक्षित इंटरनेट दिवस' मनाया जाता है, जो इस साल 6 फरवरी को मनाया जा रहा है। 

बच्चों तथा वयस्कों के लिए स्वस्थ इंटरनेट स्पेस बनाने के लिए ही 'सुरक्षित इंटरनेट दिवस' जैसे आयोजन की वैश्विक जरूरत महसूस की गई। पहली बार यह दिवस 6 फरवरी 2004 को मनाया गया था, जिसे यूरोपीय संघ द्वारा वित्त पोषित सेफ बॉर्डर्स परियोजना के भाग के रूप में शुरू किया गया था। 

इसे यूरोपीय संघ के 'बेटर इंटरनेट फॉर किड्स' पॉलिसी के अहम हिस्से के तौर पर लाया गया था, जिसका उद्देश्य बच्चों तथा युवाओं के लिए अच्छी गुणवत्तापूर्ण सामग्री को बढ़ावा देना था। यूरोपीय आयोग के सुरक्षित इंटरनेट केंद्रों (एसआईसी) के असुरक्षित नेटवर्क के कारण इस मुद्दे को उठाया गया था और अब सुरक्षित इंटरनेट दिवस अपने पारंपरिक भौगोलिक क्षेत्र से आगे बढ़ गया है तथा प्रतिवर्ष विश्वभर में 170 से भी ज्यादा देशों में मनाया जाता है। यह दिवस मनाए जाने का उद्देश्य दुनियाभर में सोशल नेटवर्किंग से लेकर साइबर बुलिंग तथा डिजिटल पहचान तक इंटरनेट से जुड़े विभिन्न उभरते ऑनलाइन मुद्दों तथा समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

इंटरनेट के सुरक्षित उपयोग के लिए कुछ जरूरी उपाय अपनाकर असुरक्षित इंटरनेट से जुड़ी विभिन्न समस्याओं से बचा जा सकता है। सबसे जरूरी है कि अपने मोबाइल या कप्यूटर पर सदैव मजबूत पासवर्ड चुनें और अपने अकाउंट को बेहतर करने के लिए दो मिनट का गूगल सिक्योरिटी चेक करें। अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर अलग-अलग पासवर्ड रखें। इसके अलावा अकाउंट को सुरक्षित रखने के लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन भी बेहद उपयोगी हो सकता है। 

अकाउंट को अतिरिक्त रूप से सुरक्षित रखने के लिए अब ट्विटर, फेसबुक, गूगल इत्यादि टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन की सुविधा देते हैं, बेहतर है कि सुरक्षित इंटरनेट के लिए इसका इस्तेमाल करें। किसी भी वेबसाइट पर जाते समय उसके यूआरएल पर अवश्य ध्यान दें। वेबसाइटों पर पॉप-अप्स, स्पैम, घोटालों और फिशिंग से सावधान रहें। 

दरअसल पासवर्ड आदि निजी जानकारियां हासिल करने के लिए फिशिंग स्कैमर बड़ी संख्या में लोगों को जालसाजी वाले संदेश भेजते हैं। विज्ञापनों पर क्लिक करने के बाद अपनी निजी जानकारियां कदापि दर्ज न करें। फायरवॉल, एंटीवायरस सॉफ्टवेयर डाउनलोड करके और उन्हें अपडेट करने से भी साइबर हमलों से बचा जा सकता है।

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