सरकार किसी सरकारी बैंक को विफल नहीं होने देना चाहती है, इसलिए सरकार बैंकों को जरूरी पूंजी मुहैया कराने की डगर पर आगे बढ़ी है। इससे पूंजी की किल्लत से परेशान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को जल्द राहत मिलेगी।
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पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक जितने भी प्रधानमंत्री बने हैं उन्होंने देश को आगे ले जाने की भरसक कोशिश की है। मोदीजी 18 घंटे काम करते हैं लेकिन जब शासन, प्रशासन और व्यवस्था साथ नहीं देंगे तो सफलता कैसे मिलेगी?
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शकुंतला के पास अंगूठी थी जिसने अंत में सारी बिगड़ी बना दी; दुष्यंत की विस्मृति दूर कर! सालाजार की विस्मृति का इलाज भी हो रहा है और शीघ्र पूर्ण होगा। पर इलाज है अंगूठी से कम रोमांटिक और अधिक कठोर!
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आज से दस साल पूर्व दैनिक वेतन लगभग सौ दो सौ रुपया हुआ करता था। वर्तमान में यह बढ़ कर 300 रु. हो गया है. लेकिन इससे यह स्पष्ट नहीं होता कि श्रमिक के जीवन स्तर में सुधार आया है।
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राजनीतिक स्तर पर एक अजीब-सी चुप्पी छाई हुई है। यह चुप्पी ऐसा संदेश दे रही है मानो यह कोई ध्यान देने लायक घटना ही नहीं है। नेताओं को फुर्सत कहां है? वे अपनी रोटियां सेंकने में लगे हुए हैं।
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