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ब्लॉग: कई मायनों में अलग दिखेगा वर्ष 2024

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 02, 2024 10:44 AM

संकेतों के अनुसार, भारत मानचित्रण की दृष्टि से इंडिया का स्थान ले लेगा। सभी भारतीय मिशनों का नाम बदलकर भारत गणराज्य के उच्चायोग या दूतावास किए जाने की संभावना है।

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कहा जा सकता है कि 2023 विपरीत ध्रुवों का वर्ष था- एक तरफ राजनीतिक और धार्मिक टकराव, केंद्र-राज्य गतिरोध, खेल घोटाले आदि ने माहौल को बदमजा किया तो दूसरी तरफ उछालभरा शेयर बाजार, तेजी से बढ़ता मनोरंजन उद्योग, खेल प्रतियोगिताओं में जीत और राष्ट्रीय गौरव को बढ़ाने वाली अंतरिक्ष क्षेत्र की सफलताएं रहीं। अब कई ऐसे मुद्दे हैं जो 2024 में पूरे वर्ष गूंजते रहेंगे।

अपराजेय मोदी

हाल के राज्य विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अजेयता की छवि और विश्वसनीयता मजबूत हुई है। उनके शब्द नि:संदेह उनके प्रशंसकों के लिए अंतिम सत्य हैं। ‘मोदी की गारंटी’ भावी पीढ़ियों के लिए भाजपा का नया पासवर्ड है। क्या प्रधानमंत्री 2024 के स्वीप के लिए अपनी अपराजेय छवि को बरकरार रख सकते हैं? उनके लिए चुनौती पूर्ण बहुमत की हैट्रिक लगाने की है।

पूरा साल मोदी को एक ऐसे प्रधानमंत्री के रूप में प्रचारित करने के लिए समर्पित होगा जो अपने वादों से कहीं अधिक करके दिखाते हैं। देश के कोने-कोने में लगे होर्डिंग और पोस्टरों के जरिये उनका चेहरा नागरिकों की निगाहों में रहेगा। उन्होंने देश के सभी हिस्सों में पार्टी को बढ़ावा देने के लिए अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में दिल्ली से दूर अधिक समय बिताया है।

मोदी का कद भाजपा से बड़ा है। पिछले एक दशक में, उनकी छवि सर्वव्यापी हो गई है - वह सभी हवाई अड्डों, 70,000 से अधिक पेट्रोल पंपों और अनगिनत बस स्टॉपों पर लगातार आपकी ओर अपनी करिश्माई निगाहें टिकाए रहते हैं। लाखों रेल यात्रियों को आकर्षित करने के लिए 880 से अधिक रेलवे स्टेशनों पर मोदी सेल्फी पॉइंट बनाए जाएंगे।

मोदी कनेक्ट का मतलब है अच्छी तरह से संयोजित भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक, सामरिक और ऐतिहासिक विशेषताओं पर आधारित घटनाओं की एक साल भर चलने वाली श्रृंखला से सीधा संवाद, बेशक, उन्होंने अपना हिंदुत्व का एजेंडा पूरा कर लिया है, लेकिन 2024 में उन्हें और अधिक विकास दिखाना होगा।

सार्वजनिक लागत पर कल्याणकारी योजनाओं की मोदीनॉमिक्स उन्हें वोट दिलाएगी, लेकिन यह दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता को कमजोर कर सकती है। पूंजीवाद को प्रोत्साहित करने की किसी भी धारणा को मिटाने के लिए उन्हें आय असमानता और धन के असमान वितरण को तेजी से ठीक करना होगा।

सामंजस्यपूर्ण वैश्विक भारत

क्या भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बहुप्रतीक्षित स्थायी सीट मिलेगी? क्या वह ग्लोबल साउथ का नेता हो सकता है? क्या अपने पड़ोसियों के साथ तनावपूर्ण संबंधों में सुधार होगा? क्या वह अपनी अमेरिकी सहयोगी की छवि को त्याग सकता है? चूंकि मोदी चुनावी रणनीति के निर्देशन में व्यस्त थे, इसलिए यह विदेश मंत्री जयशंकर पर छोड़ दिया गया कि वे रूस में पुतिन से मिलें और निगाहें टिकाए बैठी दुनिया को भारत के कूटनीतिक संतुलन का संकेत दें। मोदी की जी20 की उपलब्धि पूरे 2024 में व्याप्त दिखेगी।

अपने लगातार तीसरे कार्यकाल के दौरान, उनका ध्यान वर्ष की दूसरी छमाही में विदेशी दौरों की झड़ी के साथ भारत की विश्वगुरु स्थिति को बढ़ाने पर अधिक होगा। 2023 में यूक्रेन पर अमेरिका-रूस गतिरोध ने भारत को रणनीतिक कूटनीति में प्रमुख भूमिका निभाने से रोक दिया लेकिन 2024 में भारत सभी रणनीतिक, आर्थिक और राजनयिक विन्यासों को प्रभावित करने के लिए विश्व में विशिष्ट स्थान हासिल करेगा।

विपक्ष को मिलेगी संजीवनी?

भाजपा का एक विश्वसनीय राजनीतिक विकल्प तैयार करने के बीज 2023 में बोए गए थे लेकिन अंत में, वैचारिक दरारें और नेतृत्व प्रतियोगिताएं ही सामने आईं। हाल की कांग्रेस की हार सभी मोदी विरोधी ताकतों को एक असहज समूह बनाने के लिए मजबूर कर देगी। कांग्रेस ने अपने ही अहंकार से उन राज्यों को खो दिया जिन पर उसने शासन किया ।

अब वह दूसरे दलों के साथ समान व्यवहार करने और बिना किसी पूर्व शर्त के सीट आवंटन पर चर्चा करने को तैयार है। एक तरफ जहां क्षेत्रीय दिग्गज अपने क्षेत्र पर अड़े रहेंगे और कुछ रियायतें ही देंगे, वहीं कांग्रेस राहुल गांधी को अपने राष्ट्रीय प्रतिनिधि के रूप में पेश करेगी। उनकी दूसरी यात्रा, न्याय यात्रा जल्द ही शुरू होने वाली है जो लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले समाप्त होगी।

राहुल गांधी की यह यात्रा 14 राज्यों के 85 जिलों से गुजरते हुए 6200 किमी की दूरी तय करेगी। यदि भारत जोड़ो यात्रा का उद्देश्य उनकी दृश्यता और कनेक्टिविटी को बढ़ाना था, तो नई यात्रा का उद्देश्य हाल ही में तीन राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद उनकी आहत छवि को फिर से चमकाना है।

इसे विशाल राम मंदिर लहर को बेअसर करने की कोशिश के तहत एक राजनीतिक जमीनी स्तर के आंदोलन के रूप में पेश किया जा रहा है। विपक्ष 2004 के नतीजों को दोहराने की उम्मीद कर रहा है, जब बेहद लोकप्रिय वाजपेयी सरकार चुनाव हार गई थी. तब अखिल भारतीय अभियान का नेतृत्व करने के लिए कोई एक नेता नहीं होने के कारण, कांग्रेस ने वापसी की और सत्ता पर कब्जा कर लिया।

 किसी नेता या ‘इंडिया शाइनिंग’ का मुकाबला करने के लिए कोई प्रभावी वैकल्पिक नारा नहीं होने के बावजूद तब विपक्षी एकता की संरचना ने चुनाव संबंधी सभी विश्लेषणों को ध्वस्त कर दिया था। कॉर्पोरेट भारत की चमक

भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। साल 2024 का अंत 7 फीसदी जीडीपी वृद्धि के साथ होने की उम्मीद है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय और घरेलू आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दे और मुद्रास्फीति 

का दबाव इससे मिलने वाले लाभ को रोक सकते हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर सार्वजनिक निवेश और ग्रामीण मांग में वृद्धि के साथ विमानन, स्वास्थ्य, मनोरंजन, पर्यटन और ऑटोमोबाइल जैसे कुछ क्षेत्र बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। अगर मोदी भारी बहुमत के साथ लौटते हैं तो कॉर्पोरेट उछाल निश्चित है।

सेंसेक्स भारत के वास्तविक वित्तीय 

स्वास्थ्य को प्रतिबिंबित नहीं कर सकता है, लेकिन यह निवेशकों के विश्वास को दर्शाता है। भारतीय बाजार विषम है, इसे पूंजीवादी कुलीनतंत्र द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है, जिसने चमक-दमक और संपन्नता का एक एल्गोरिदम स्थापित किया है। पिछले 12 महीनों के दौरान सेंसेक्स 61,000 से 72,000 तक उछला। सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण लगभग 30 प्रतिशत बढ़ गया।

सांस्कृतिक विस्तार

पिछले एक दशक में राजनीति पहले ही बदल चुकी है। अब 2024 में भारतीय संस्कृति का विस्तार हो रहा है। 2024 की 22 जनवरी को, अयोध्या में रामलला की स्थापना की तारीख पर, मोदी के साथ भगवान राम के चित्र भी देशभर में नजर आएंगे।

भाजपा और आरएसएस के स्वयंसेवक 10 करोड़ घरों में जाकर उन्हें इस तारीख पर दूसरी दिवाली मनाने के लिए मनाएंगे। पार्टी को उम्मीद है कि इस कार्यक्रम को अधिकतम वैश्विक ध्यान मिलेगा और यह सांस्कृतिक पुनर्जागरण के राग के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर गूंजेगा. विपक्ष के सामने आस्था और विचारधारा के बीच चयन करने की दर्दनाक चुनौती है।

भारत गणराज्य क्या 2024 में आखिरकार इंडिया का नाम बदलकर भारत कर दिया जाएगा? यह प्रक्रिया पिछले साल राष्ट्रपति के निमंत्रण के साथ शुरू हुई थी। इसके तुरंत बाद, मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपने जी20 मेहमानों को आमंत्रित किया। संकेतों के अनुसार, भारत मानचित्रण की दृष्टि से इंडिया का स्थान ले लेगा। सभी भारतीय मिशनों का नाम बदलकर भारत गणराज्य के उच्चायोग या दूतावास किए जाने की संभावना है। केंद्र सरकार के सभी विभाग, सार्वजनिक उपक्रम, बैंक आदि अपने संचार में ‘भारत’ का उपयोग करने पर काम कर रहे हैं।

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