यह सच है कि कई बार किसानों के कर्ज माफ किए गए हैं और उनकी आर्थिक सहायता भी की गई है, लेकिन अगर यह कहा जाए कि उनकी बुनियादी समस्याओं को हल करने के लिए कुछ नहीं किया गया तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. ...
दोनों न्यायाधीश इस बात पर एकमत थे कि केंद्र सरकार को आनुवंशिक रूप से संवर्धित (जीएम) फसलों पर एक राष्ट्रीय नीति तैयार चाहिए. अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के सामने जाएगा. ...
अब भारत उस दौर से निकल कर एक ऐसे समय में आ पहुंचा है, जहां वह दुनिया का पेट भर रहा है. यह देश में खाद्य अधिशेष (खपत से ज्यादा खाद्यान्न की पैदावार) के कारण हुआ. ...
सामाजिक-आर्थिक सीढ़ी पर जातियां अलग-अलग पायदान पर स्थित होती हैं और सबका अपना-अपना दायरा होता है. आज जाति की शक्ति की कोई उपेक्षा नहीं कर सकता, खास तौर पर राजनीति के क्षेत्र में तो ऐसा सोचना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है. ...
वायुसेना के एमआई-17 और चिनूक हेलिकॉप्टर की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। हालांकि विजिबिलिटी कम होने की वजह से हेलिकॉप्टरों को उड़ान भरने में बाधा आ रही है, इसके बावजूद बाधाओं को पार करते हुए यात्रियों को बाहर निकाला जा रहा है। ...
हिंदी या भारतीय भाषाओं के जरिये न्याय हासिल करने की राह में सबसे बड़ी बाधा संविधान के अनुच्छेद 348 की व्यवस्था है, जिसके तहत अगर संसद कानून नहीं बनाती तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट अंग्रेजी में ही सुनवाई करेंगे। ...
कहते हैं कमान से निकला हुआ तीर और जबान से निकला हुआ शब्द वापस नहीं होता। किसी शब्द को असंसदीय या संसदीय घोषित करने से बात बनती नहीं है। कोई शब्द यदि निश्चित रूप से अनुचित है तो उसे बोलने वाले को यह अहसास होना चाहिए कि उससे गलती हुई है। ...
संक्षेप में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को अधिक जिम्मेदारी से काम करना चाहिए, उदार होना चाहिए और दरियादिली दिखानी चाहिए। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि ऐसा न होना दोनों तरफ से नुकसानदेह है। ...
जब सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना शुरू की तो करोड़ों लोगों को गरिमा के साथ जीने का वह अधिकार वास्तव में मिला, जो उन्हें संविधान देता है। लेकिन फिर पता नहीं क्या हुआ कि सरकारों ने धीरे-धीरे चीजें फ्री में बांटनी शुरू कर द ...