Indian Meteorological Department: देश भले ही भारी बारिश की चपेट में है लेकिन कुछ समय पहले ही मोदी सरकार में तब हड़कंप मच गया था जब भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) का दिल्ली में तापमान 52.9 डिग्री सेल्सियस और नागपुर में 56 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने का पूर्वानुमान गलत साबित हुआ था. केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान और संसदीय मामलों के मंत्री किरण रिजिजु ने उसी रात माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ‘एक्स’ पर लिखा, ‘दिल्ली में 52.3 डिग्री सेल्सियस तापमान होने की बहुत कम संभावना है. आईएमडी में हमारे वरिष्ठ अधिकारियों को समाचार रिपोर्ट की पुष्टि करने के लिए कहा गया है.
आधिकारिक स्थिति जल्द ही बताई जाएगी.’ आईएमडी के इतिहास में शायद यह पहली बार हुआ कि किसी केंद्रीय मंत्री को अपने विभाग द्वारा की गई मौसम की भविष्यवाणी को नकारना पड़ा. एक उच्चस्तरीय समिति को इस विसंगति की समीक्षा करने का काम सौंपा गया. आईएमडी ने अपने जवाब में दिल्ली के बाहरी इलाके मुंगेशपुर में स्थापित स्वचालित मौसम स्टेशनों (एडब्ल्यूएस) पर जिम्मेदारी डाल दी.
सरकार द्वारा चुने गए आईएमडी के महानिदेशक एम. महापात्रा ने भी स्थानीय कारकों को दोषी ठहराया, लेकिन उन्हें निर्दिष्ट नहीं किया. यह पता चला कि एडब्ल्यूएस मुंगेशपुर में तापमान रीडिंग ने पीक अवधि के दौरान मानक उपकरणों की तुलना में लगभग 3 डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान की सूचना दी.
इसके अतिरिक्त 31 मई को, आईएमडी ने स्पष्ट किया कि नागपुर में दर्ज 56 डिग्री सेल्सियस भी तापमान सेंसर की खराबी के कारण था. ‘‘इलेक्ट्रॉनिक सेंसर की विफलता के कारण ये मान गलत है (जैसा कि आईएमडी, पुणे द्वारा पुष्टि की गई है),’’ आईएमडी ने एक्स पर पोस्ट किया. दोष एडब्ल्यूएस उपकरणों द्वारा दोषपूर्ण रीडिंग को दिया गया था, न कि उन लोगों को जो डेटा की निगरानी कर रहे थे.
यह पता चला है कि मौसम पूर्वानुमान इकाई में पारंगत कुछ वैज्ञानिकों को कुछ अजीब कारणों से स्थानांतरित कर दिया गया था. मंत्रालय ने सिफारिश की कि सार्वजनिक घबराहट से बचने के लिए सार्वजनिक प्रसार से पहले एडब्ल्यूएस डेटा पर कड़े स्वचालित गुणवत्ता नियंत्रण लागू किए जाने चाहिए.
राहुल गांधी ने कुर्ता-पायजामा क्यों छोड़ा?
18वीं लोकसभा के पहले दिन विपक्ष के नेता के रूप में नियुक्त होने के बाद राहुल गांधी का पारंपरिक साफ-सुथरे कुर्ता-पायजामा में सदन में आना सुखद आश्चर्य की बात थी. नई भूमिका में ढलते हुए राहुल गांधी के प्रवेश ने भगवा खेमे का भी ध्यान खींचा, जब कांग्रेस सांसदों ने ‘राहुल...राहुल...’ के नारे लगाकर नेता का स्वागत किया.
यह एक नया अनुभव था, क्योंकि संसद में प्रधानमंत्री के लोकसभा में प्रवेश करने पर भाजपा के सांसद ‘मोदी...मोदी’ के नारे लगाते हुए देखे गए थे. भाजपा नेता, जो अब तक राहुल गांधी को ‘पप्पू’ या ‘शहजादा’ या अन्य विशेषणों से खारिज करते रहे थे, संसद में उन्हें मिली तवज्जो से निराश थे.
भाजपा नेतृत्व भी लोकसभा में नई स्थिति को स्वीकार करने के लिए संघर्ष कर रहा है, क्योंकि इंडिया गठबंधन के पास एनडीए की घटती ताकत से मेल खाने के लिए पर्याप्त संख्याबल है. कुछ भाजपा सांसदों ने यह भी स्वीकार किया कि राहुल ने अपनी नई भूमिका को अच्छी तरह से शुरू किया है. लेकिन अगले ही दिन राहुल अपनी पसंदीदा टी-शर्ट और जींस में वापस आ गए.
राहुल गांधी की टीम ने बताया कि पहनावे में यह बदलाव सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स को बनाए रखने के लिए किया गया है, जिनमें इंस्टा भी शामिल है, जिसके उपयोगकर्ताओं की उम्र 15-45 साल के बीच है. वे उनकी एंग्री यंग मैन वाली छवि और उनके व्यवहार के तरीके से खुश हैं. राहुल गांधी उन लोगों की टिप्पणियों से बेफिक्र हैं, जो राजनेताओं को अपने चश्मे से देखते हैं.
वे इस क्षेत्र को संवार रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह अब भरपूर लाभ दे रहा है. कुछ भाजपा सांसद इस बात को लेकर हैरान हैं कि अगर प्रियंका गांधी वाड्रा भी वायनाड से जीतने के बाद अपने भाई के साथ आ गईं, तो सदन में क्या होगा. तीनों गांधी को हैंडल करना भाजपा के लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा.
अति पिछड़ा वोटों की लड़ाई
भाजपा अब ओबीसी और अति पिछड़ा वर्ग को लुभाने के गुर सीख रही है और बिहार में कुशवाहा वोटों के लिए जंग जोरों पर है. पटना से आ रही खबरों की मानें तो भाजपा नेतृत्व आरएलपी नेता उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजने का वादा कर रहा है. भाजपा की नजर दोनों राज्यसभा सीटों पर है, जहां उपचुनाव होने हैं.
मीसा भारती (राजद) और विवेक ठाकुर (भाजपा) के लोकसभा में चुने जाने के बाद उन्होंने अपनी राज्यसभा सीटें छोड़ दी थीं. भाजपा केवल एक राज्यसभा सीट की हकदार थी. लेकिन उसने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मोलभाव किया और एक अतिरिक्त राज्यसभा सीट के बदले में दो विधान परिषद सीटें जदयू को सौंप दीं.
दिलचस्प बात यह है कि जदयू ने एक विधान परिषद सीट के लिए भगवान सिंह कुशवाहा को मैदान में उतारा है और भाजपा उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजेगी. कुशवाहा की सीट का कार्यकाल 2028 तक चार साल का होगा, जबकि विवेक ठाकुर द्वारा खाली की गई सीट का कार्यकाल 2026 तक दो साल का होगा. यह सीट पूर्व ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह को मिल सकती है, जो लोकसभा चुनाव हार गए थे.
और अंत में
भाजपा में एक व्यक्ति एक पद की नीति है. कई बार किसी नेता को मजबूरी में कुछ समय के लिए दो पद संभालने पड़ते हैं. लेकिन जे.पी. नड्डा शायद भाजपा के 44 साल के इतिहास में एकमात्र ऐसे नेता हैं जो तीन भूमिकाएं निभाते हैं; वे भाजपा अध्यक्ष बने हुए हैं, राज्यसभा के नेता नियुक्त किए गए हैं और केंद्रीय स्वास्थ्य तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री हैं.