लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: विद्यार्थियों को अनुशासन सिखाना जरूरी है, दंड देना नहीं

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: September 18, 2023 9:29 AM

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्रस्तावना इस बात को रेखांकित करती है कि बच्चे के व्यक्तित्व के समग्र विकास के लिए भय एवं हिंसा से मुक्त वातावरण का होना अनिवार्य है।

Open in App
ठळक मुद्देराष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में बच्चों के व्यक्तित्व के समग्र विकास पर विस्तार से बात की गई हैशिक्षक बच्चों के शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक उत्पीड़न को पूर्ण रूप से समाप्त कर सकता हैपारंपरिक शिक्षण में माना जाता है कि अनुशासन की स्थापना हेतु दंड का विधान अपरिहार्य है

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्रस्तावना इस बात को रेखांकित करती है कि बच्चे के व्यक्तित्व के समग्र विकास के लिए भय एवं हिंसा से मुक्त वातावरण का होना अनिवार्य है। बच्चों के शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक उत्पीड़न को पूर्ण रूप से समाप्त करके ही शिक्षक उनके लिए उन्मुक्त  शैक्षिक वातावरण निर्मित कर सकता है।

चिंताजनक स्थिति यह है कि अमूमन एक भारतीय शिक्षक इस बात को आत्मसाथ किए रहता है कि बच्चों को नियंत्रण में रख कर ही गुणवत्तापूर्ण तरीके से सिखाया जा सकता है। इस कारण  सीखने-सिखाने के लिए बच्चे पर नियंत्रण एक अनिवार्य  शिक्षणशास्त्रीय पद्धति के रूप में स्वीकार्य होने लगता है।

पिछले दिनों मुजफ्फरनगर एवं कश्मीर के विद्यालयों में घटित हुई घटनाओं को न केवल समाजशास्त्रीय तरीके से बल्कि शिक्षणशास्त्रीय तरीके से भी समझा जाना चाहिए। मुजफ्फरनगर के एक निजी विद्यालय में घटित हुई घटना इसी संदर्भ में विचारणीय है जहां शिक्षिका बच्चे के द्वारा कुछ गणितीय सवाल हल नहीं कर पाने और गृहकार्य को समय पर पूरा नहीं कर सकने को ‘अनुशासनहीनता’ और ‘नियंत्रण का अभाव’ मानती है। वह इस घटना के लिए उत्तरदायी कारक के रूप में शैक्षिक-मनोविज्ञान को नहीं बल्कि बच्चे की सामाजिक-सांस्कृतिक-धार्मिक पृष्ठभूमि को जिम्मेदार मानती है।

वस्तुत: यह एक पारंपरिक शिक्षणशास्त्रीय समझ ही है, जिसमें अनुशासन की स्थापना हेतु दंड का विधान अपरिहार्य हो जाता है। शिक्षक के द्वारा दंड का विधान करते हुए शारीरिक और मानसिक यंत्रणा इस प्रकार व्यवहृत की जाती है कि बच्चे की अस्मिता का हनन भी सीखने-सिखाने का ज्ञानमीमांसीय उपक्रम लगने लगता है। विद्यालय की शैक्षणिक और सह-शैक्षणिक गतिविधियां बच्चे के ज्ञानात्मक एवं भावात्मक अभिविन्यास को निर्मित करती हैं।

एक बच्चे का जाति, धर्म, लिंग, समुदाय, भाषा आदि के प्रति नजरिया उसके विद्यालयी अनुभवों का विस्तार होता है। यदि शिक्षक दंड के विधान में हिंसात्मक व्यवहारों को सहज शिक्षणशास्त्रीय पद्धति के रूप में अंगीकार करते है तो वह वस्तुत: समाज में व्याप्त विषमताओं, वंचनाओं एवं अन्यायपूर्ण संरचनाओं  को बरकरार रखने के लिए बड़े ही अनूठे ढंग से अनुकूलित होने लगते हैं।

गांधीजी ने आत्म-नियंत्रण के माध्यम से अनुशासन की वकालत की। उन्होंने स्वैच्छिक अनुशासन या अनुशासन पर जोर दिया जो भीतर से उत्पन्न होता है। आत्म-अनुशासन आत्म-संयम, निर्भयता, उपयोगिता और आत्म-बलिदान के शुद्ध जीवन से उत्पन्न होता है। आज जरूरत गांधी की नई तालीम में विद्यमान  सकारात्मक अनुशासन को कक्षा में स्थान देने की है, क्योंकि बच्चों की सृजनात्मकता भयमुक्त वातावरण एवं सकारात्मक अनुशासन से ही पोषित हो सकती है।

टॅग्स :नई शिक्षा नीतिएजुकेशनSchool Educationशिक्षा मंत्रालयEducation Ministry
Open in App

संबंधित खबरें

क्राइम अलर्टGujarat 2 Students Molesting: शिक्षक ने की 'गंदी बात', एफआईआर दर्ज

भारतCBSE 12th Result 2024: मेरिट लिस्ट नहीं, 116145 छात्रों को 90 फीसदी, 24068 छात्रों को मिले 95 फीसदी से अधिक अंक

भारतDelhi High Court: 'एसी में बच्चे पढ़ेंगे, पेरेंट्स को उठाना होगा खर्च', कोर्ट ने कहा

भारतDelhi School News: स्कूल में चाहिए AC तो माता-पिता खर्च वहन करें, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा, इस याचिका को किया खारिज

ज़रा हटकेViral Video: स्कूल में लेट पहुंचने के लिए प्रिंसिपल ने महिला टीचर को पीटा, वीडियो इंटरनेट पर वायरल, देखिए

पाठशाला अधिक खबरें

भारतCA Inter Result 2023: सीए इंटर नवंबर 2023 का रिजल्ट जारी, जानिए कहां और कैसे देखें

पाठशालाUGC NET December 2023: अभी तक नहीं भरा है फॉर्म, तो हो जाएं सतर्क! कल है अंतिम तिथि

पाठशालाDelhi University: मीडिया इंटर्नशिप करने के लिए छात्रों के पास मौका, जानिए कैसे करें आवेदन

पाठशालाब्लॉग: स्कूल में मोबाइल पर पाबंदी की पहल

पाठशालाHealth Care Sector: दसवीं के बाद आईएचसीई से कोर्स कर ग्रामीण क्षेत्र के हेल्थ केयर में बनाएं करियर