ब्लॉग: स्कूल में मोबाइल पर पाबंदी की पहल

By पंकज चतुर्वेदी | Published: September 20, 2023 10:39 AM2023-09-20T10:39:18+5:302023-09-20T10:41:00+5:30

यूनेस्को की रिपोर्ट में बताया गया है कि मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से बच्चों के मानसिक विकास पर विपरीत असर पड़ता है।

Blog: Initiative to ban mobile phones in school | ब्लॉग: स्कूल में मोबाइल पर पाबंदी की पहल

फाइल फोटो

Highlightsयूनेस्को की रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से बच्चों पर प्रतिकूल असर पड़ता हैआंध्र सरकार ने भी मोबाइल के प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए स्कूलों में फोन पर पाबंदी लगा दी हैअधिक मोबाइल के उपयोग से बच्चों की शिक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है

पिछले दिनों दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यूनेस्को के सहयोग से तैयार एक कार्टून किताब के विमोचन के अवसर पर बच्चों से पूछ लिया कि वे कितना समय  मोबाइल-कम्प्यूटर पर देते हैं। उन्होंने बच्चों से पूछा कि उनका स्क्रीम टाइम क्या है। इस सवाल पर वहां मौजूद बच्चे दाएं-बाएं देखने लगे।

हालांकि कुछ बच्चों ने सकुचाते हुए तीन से चार घंटे बताया। इस पर प्रधान ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज्यादा स्क्रीन टाइम नुकसानदायक है। इससे तीन दिन पहले ही आंध्र प्रदेश सरकार ने स्कूलों में फोन पर पाबंदी लगा दी। सरकार ने यह कदम यूनेस्को की उस रिपोर्ट के बाद उठाया जिसमें मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से बच्चों के मानसिक विकास पर विपरीत असर पड़ने की बात कही गई थी।

हालांकि कोविड से पहले दुनिया में फ्रांस जैसे देश ने भी शिक्षा में सेल फोन पर पूरी तरह पाबंदी लगाई थी। कोलंबिया, अमेरिका, इटली, सिंगापुर, बांग्लादेश जैसे देशों में कक्षा में मोबाइल पर रोक है। भारत में फिलहाल यह अटपटा लग रहा है क्योंकि अभी डेढ़ साल पहले हमारा सारा स्कूली शिक्षा तंत्र ही सेल फोन से संचालित था।

यही नहीं, नई शिक्षा नीति -2020, जो कि देश में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव का दस्तावेज है, उसमें मोबाइल और डिजिटल डिवाइस के सलीके से प्रयोग को प्रोत्साहित किया गया है।

यह कटु सत्य है कि स्कूल में फोन कई किस्म की बुराइयों को जन्म दे रहा है आज फोन में खेल, संगीत, वीडियो जैसे कई ऐसे एप्प उपलब्ध हैं, जिसमें बच्चे का मन लगना ही है और इससे उसकी शिक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही इम्तहान में धोखाधड़ी और नकल का एक बड़ा औजार यह बन गया है। यही नहीं इसके कारण अपराध भी हो रहे हैं। निरंकुश अश्लीलता स्मार्टफोन पर किशोर बच्चों के लिए सबसे बड़ा जहर है।

लेकिन मोबाइल, विद्यालय और शिक्षा का एक दूसरा पहलू भी है। जिस देश में मोबाइल कनेक्शन की संख्या देश की कुल आबादी के लगभग करीब पहुंच रही हो, जहां किशोर ही नहीं 12 साल के बच्चे के लिए भी मोबाइल स्कूली-बस्ते की तरह अनिवार्य बनता जा रहा हो, वहां बच्चों को डिजिटल साक्षरता, सृजनशीलता, पहल और सामाजिक कौशलों की जरूरत है।

हम पुस्तकों में पढ़ाते हैं कि गाय रंभाती है या शेर दहाड़ता है। कोई भी शिक्षक यह सब अब मोबाइल पर सहजता से बच्चों को दिखाकर अपने पाठ को कम शब्दों में समझा सकता है। वैसे बगैर किसी दंड के प्रावधान के आंध्र प्रदेश में मोबाइल पर पाबंदी का कानून कितना कारगर होगा यह तो वक्त ही बताएगा।

Web Title: Blog: Initiative to ban mobile phones in school

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