वरिष्ठ पत्रकार और फिल्मकार। राज्य सभा टीवी के पूर्व कार्यकारी निदेशक। वॉयस ऑफ इंडिया, इंडिया न्यूज, सीएनईबी, बीएजी फिल्मस, आज तक, नई दुनिया इत्यादि मीडिया संस्थानों में वरिष्ठ पदों पर रहे।Read More
सवाल यह है कि कांग्रेस बार-बार बहुसंख्यकों को यह बताने का प्रयास क्यों कर रही है कि वह उनकी विरोधी नहीं है. आजादी के कुछ समय पहले से बाद के अनेक दशकों तक कांग्रेस की छवि हिंदू पार्टी की ही रही है. ...
विपक्षी पार्टियां भाजपा को हटाना चाहती हैं और आपस में लड़ने का अवसर भी गंवाना नहीं चाहतीं. वर्तमान राजनीति में ऐसा कोई स्वीकार्य शिखर पुरुष नहीं है, जो विपक्ष को एक साथ लाने की जिम्मेदारी उठा सके. ...
पंजाब में कांग्रेस को अपने प्रदेश अध्यक्ष के अस्थिर चित्त का वक्त रहते इलाज खोजना जरूरी है. कैप्टन अमरिंदर लगातार तीसरी बार कांग्रेस को विजय दिलाते नहीं दिख रहे थे. ...
नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन साल भर से गांधीवादी तरीके से चल रहा है। आंदोलन के कर्ताधर्ताओं ने अभी तक किसी सियासी पार्टी को अपना मंच इस्तेमाल नहीं करने दिया है। मगर इससे विपक्षी दलों की भूमिका समाप्त नहीं हो जाती। ...
स्वतंत्रता से पहले महात्मा गांधी के अहिंसक और सविनय अवज्ञा आंदोलनों से तत्कालीन हुकूमत बौखला उठी थी. फिर उसने दमनचक्र चलाया था. उस भयावह दौर में तात्कालिक नुकसान भले ही सत्याग्रहियों या स्वतंत्रता सेनानियों को उठाना पड़ा हो, मगर जीत अंतत: सच की हुई थ ...
सियासी अतीत को देखें तो ज्यादातर मामलों में चुनाव पूर्व नेता बदलने का कोई लाभ किसी पार्टी को नहीं मिला है. शरद पवार और सुषमा स्वराज जैसे दिग्गज भी चुनाव से पहले भेजे जाने पर पार्टी को जिता नहीं सके थे. ...