लाइव न्यूज़ :

फैशन उद्योग को महिलाओं के लिए बेहतर बनाने के लिए कानून का इस्तेमाल कैसे किया जाए

By भाषा | Updated: December 15, 2021 16:17 IST

Open in App

मार्क लियू, यूनीवर्सिटी ऑफ टैक्नोलॉजी, सिडनी और रमोना विजयारासा, यूनीवर्सिटी ऑफ टैक्नोलॉजी, सिडनी

सिडनी, 15 दिसंबर (द कन्वरसेशन) मार्च 1911 में, मैनहट्टन में एक कपड़ा कारखाने में आग लगने से 100 से अधिक लोग, जिनमें ज्यादातर यहूदी और इतालवी महिला प्रवासी थे और जिनमें से कुछ की उम्र मात्र 14 वर्ष थी, अंदर फंस गए और उनकी मौत हो गई क्योंकि प्रबंधन ने दरवाजे बंद कर रखे थे।

बाद के वर्षों में, महिला कार्यकर्ता लामबंद हुईं। उनके विरोधों ने अमेरिका में इस क्षेत्र में प्रमुख कानूनी सुधारों की नींव रखी, जिसमें सामाजिक सुरक्षा, बेरोजगारी बीमा, बाल श्रम का उन्मूलन, न्यूनतम मजदूरी और संघ बनाने का अधिकार शामिल था।

ट्राएंगल शर्टवेस्ट फैक्ट्री की आग के जख्मों को बांग्लादेश के ढाका के सावर उपजिला जिले में राणा प्लाजा में 2013 में लगी आग ने फिर हरा कर दिया। इस भीषण अग्निकांड में 1,134 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर युवा महिलाएं थीं और 2,500 से अधिक घायल हुए थे।

राणा प्लाजा में वैश्विक ब्रांडों के लिए कपड़े बनाने वाली फैक्ट्रियां थीं, लेकिन लगता है कि लोगों ने इस त्रासदी को भुला दिया है।

वर्षों से, सुरक्षा समझौतों के प्रति जवाबदेही अपर्याप्त बनी हुई है और कई कारखाने जांच से बच रहे हैं।

उपभोक्ताओं में टिकाऊ और एथिकल फैशन की तलाश बढ़ती जा रही है। हमारा मानना ​​है कि ये लक्ष्य एक ऐसे उद्योग से ही प्राप्त किए जा सकते हैं जो लैंगिक न्याय पर ध्यान देता हो। लेकिन केवल उपभोक्ता मांग और बहिष्कार से लैंगिक न्याय प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इसके बजाय, हमें कानूनों में ऐसे सुधारों की जरूरत है जो लैंगिक रूप से उत्तरदायी हों।

हमारा नया शोध एक अधिक लैंगिक न्यायपूर्ण और टिकाऊ फैशन क्षेत्र के लिए छह तरीके निर्धारित करता है।

जवाबदेही

फैशन क्षेत्र का लैंगिक पदानुक्रम असमान है। सबसे निचले पायदान पर काम करने वालों में ज्यादातर महिलाएं हैं, जबकि फ्लोर प्रबंधक, सुरक्षा और कारखाने के मालिक बड़े पैमाने पर पुरुष होते हैं।

महिला कर्मचारी उत्पीड़न, हिंसा और शोषण की चपेट में हैं। पर्याप्त शिकायत तंत्र का अभाव है और महिलाएं अक्सर प्रतिशोध के जोखिम में होती हैं।

न केवल कपड़ा बनाने वाले देशों में, बल्कि उन देशों में भी जहां कपड़े बेचे जाते हैं, और आपूर्ति श्रृंखला के सभी चरणों में जवाबदेही की आवश्यकता है।

ऑस्ट्रेलिया के 2018 कानून सहित आधुनिक दासता अधिनियम, व्यवसायों के लिए कुछ दायित्वों का निर्धारण करते हैं, जिसमें उन्हें अपनी आपूर्ति श्रृंखला में शोषण के संभावित जोखिमों के संबंध में लिए गए तय निर्णय के संबंध में सूचना देने की आवश्यकता होती है।

लेकिन जवाबदेही को मौजूदा प्रावधानों से परे जाना होगा। किसी भी तरह के कानून के उल्लंघन पर जुर्माना लगाना होगा और कार्यस्थल पर काम के दौरान लगने वाली चोटों के पीड़ितों को मुआवजा देने के साथ ही लिंग आधारित नुकसान झेलने वालों को भी मुआवजा अदा किया जाना चाहिए।

आजीविका योग्य मजदूरी

न्यूनतम मजदूरी शायद ही कभी इतनी होती है कि श्रमिक और उसके परिवार के लिए एक सभ्य जीवन स्तर प्रदान कर सके।

संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य सभी के लिए पूर्ण और उत्पादक रोजगार और अच्छे काम का आह्वान करते हैं। कारखानों में, इसका मतलब होगा कि श्रमिकों को भोजन, पानी, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, परिवहन, कपड़े और अन्य आवश्यक जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होने के लिए एक गुजारे लायक मजदूरी दिया जाना आवश्यक है। इसे इस बात से जोड़ा जाना चाहिए कि जब मकान का किराया मजदूरों के न्यूनतम वेतन में वार्षिक वृद्धि से अधिक हो जाता है तो श्रमिकों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

सतत आर्थिक विकास के लिए मातृत्व अवकाश, बेरोजगारी और विकलांगता बीमा सहित श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा के वित्तपोषण की भी आवश्यकता होती है।

समुदाय

श्रमिक अक्सर प्रवासी होते हैं जो अपने बच्चों को अपने परिवार के पास छोड़ देते हैं। कई परिधान-उत्पादक देशों में महिला श्रमिकों के लिए आवश्यक लिंग-आधारित सार्वजनिक सेवाओं का अभाव है जैसे कारखानों के निकट अच्छे सार्वजनिक आवास, स्ट्रीट लाइटिंग और स्वास्थ्य सेवा।

सतत विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए महिलाओं द्वारा किए जाने वाले अवैतनिक कार्य की पहचान करना जरूरी है। इसका असर फैक्ट्री के बाहर रहने वाली महिला कामगारों के जीवन पर पड़ता है।

महिलाओं को कारखाने के भीतर और बाहर भी लिंग आधारित हिंसा का सामना करना पड़ता है। कामगारों को काम से आने-जाने सहित सभी जगहों पर इस तरह की हिंसा से बचाने के लिए कानून बनाने की जरूरत है।

कराधान

कपड़ा उत्पादक देशों में नियामक खामियों के कारण सरकारों को उतना राजस्व नहीं मिल पाता है, जितना मिलना चाहिए।

उत्पादन कारखानों के सीधे मालिक होने के बजाय, कुछ कंपनियां अपने उत्पादों को "स्वतंत्र आपूर्तिकर्ताओं" से खरीदने का दावा करती हैं। इस तकनीकी फेरबदल के चलते इन देशों में प्रमुख खुदरा ब्रांडों को कॉर्पोरेट टैक्स का भुगतान करने की जरूरत नहीं रह जाती।

राजस्व कम मिलने का महिलाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और उन्हें पर्याप्त सार्वजनिक सेवाएं नहीं मिल पातीं। इसी कारण से व्यापक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को भी अधिक धनराशि नहीं मिल पाती।

इन कर खामियों को दूर करके परिधान-आपूर्ति वाले देशों के लिए सरकारी राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की जा सकती है, ताकि इन आवश्यक सेवाओं को वित्तपोषित किया जा सके।

प्रतिनिधित्व और आवाज

परिधान श्रमिकों में अधिकांश महिलाएं हैं, लेकिन उनके पास कॉर्पोरेट और सरकारी निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं होता।

ट्रेड यूनियनों ने प्रतिनिधित्व में सुधार किया है, लेकिन अक्सर लैंगिक समानता के लिए उनका दृष्टिकोण अलग-अलग होता है। कई महिला फैशन वर्कर यूनियन से बाहर रहती हैं। नतीजतन, महिला श्रमिकों की मूलभूत चिंताओं पर अक्सर अपर्याप्त ध्यान दिया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के श्रम मानकों के कार्यान्वयन से महिला श्रमिकों के हितों को आवाज़ देने और सुनने के लिए और अधिक स्थान बनाए जा सकते हैं।

जिम्मेदार उपभोक्ता

उपभोक्ता की पसंद को अक्सर फैशन उद्योग को बदलने की कुंजी के रूप में देखा जाता है। उपभोक्ताओं को मानवाधिकार पर आधारित निर्णय लेने के लिए राजी करने की आवश्यकता होती है, उसी तरह जैसे उन्हें ब्रांड, गुणवत्ता और कीमत के लिए राजी किया जाता है।

स्पष्ट रूप से कानून और फैशन को एक दूसरे से बहुत कुछ हासिल करना है। लेकिन जवाबदेही को निगमों से व्यक्तिगत स्तर तक स्थानांतरित करने की बजाय अधिक मजबूत और प्रभावी समाधान होना चाहिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

क्रिकेटIND vs SA 2nd T20: 7 छक्के 5 चौके, क्विंटन डी कॉक के तूफान में उड़े भारतीय गेंदबाज, 90 रनों की शानदार पारी

क्रिकेटIndia vs South Africa 2nd T20I: 48 गेंद, 0 विकेट और 99 रन, जसप्रीत बुमराह और अर्शदीप सिंह पर बरसे अफ्रीकी बल्लेबाज

भारतजदयू के संपर्क में महागठबंधन के 17-18 विधायक?, बिहार विधानसभा चुनाव के बाद 'खेला', प्रवक्ता नीरज कुमार का दावा

भारतपीएम मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप से बात की, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर की चर्चा

क्रिकेटIndia vs South Africa 2nd T20I: 1 ओवर में 7 वाइड और 18 रन, अर्शदीप सिंह ने तोड़े रिकॉर्ड

विश्व अधिक खबरें

विश्वअगर ट्रंप अपनी नीति में बदलाव नहीं करते, तो भारत को खो देने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति बनेंगे?, सांसद सिंडी कमलागर डोव ने कहा- सबसे बेहतर दोस्त...

विश्वडोनाल्ड ट्रंप ने लॉन्च किया 'गोल्ड कार्ड' वीजा प्रोग्राम, अमेरिकी नागरिकता पाने के लिए देने होंगे 10 लाख; जानें क्या है ये

विश्वसोशल मीडिया बैन, 16 साल से बच्चों पर लागू, फेसबुक, इंस्टाग्राम, किक, रेडिट, स्नैपचैट, थ्रेड्स, टिकटॉक, एक्स, यूट्यूब और ट्विच जल्दी हटाएं नहीं तो 3.29 करोड़ अमेरिकी डॉलर जुर्माना

विश्वInternational Human Rights Day 2025: 10 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है मानवाधिकार दिवस? जानें क्या है महत्व

विश्वट्रम्प की इससे ज्यादा बेइज्जती और क्या हो सकती है ?