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श्रीमद्भगवद्गीता: पहला अध्याय, श्लोक 2: पांडवों की व्यूहरचना देख दुर्योधन गुरु द्रोण के पास गया, जानें क्या सिखाती है यह बात

By रोहित कुमार पोरवाल | Updated: October 19, 2019 17:48 IST2019-10-19T17:48:39+5:302019-10-19T17:48:39+5:30

श्लोक के निचोड़ में एक बार फिर भय यानी डर की बात सामने आ रही है। इसलिए जीवन में अगर किसी लक्ष्य को हासिल करना चाहते हैं और उसे पाने के लिए घोर संघर्ष करना पड़े तो पूरी तैयारी के साथ आगे बढ़ जाइए, फिर यह मत सोचिए कि क्या होगा? दुर्योधन के पास पांडवों के मुकाबले कई गुना बड़ी सेना थी लेकिन फिर भी वह भयभीत था। इससे यह भी सीखा जा सकता है कि हमें अपनी सही क्षमता का पता होना चाहिए और दिखावे से बचना चाहिए। तभी जीवन में किसी बड़े लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।