हिंदू धर्म में पितृपक्ष का बहुत महत्व है। मान्यता है कि इन दिनों में पूर्वज धरती पर आते हैं। ऐसे में उनके नाम से दान आदि करना चाहिए और ब्राह्मण और गरीबों को भोजन कराया जाना चाहिए। . अपने पितृ दोष को दूर करने के लिए इस पितृ पक्ष के समय लोग श्राद्ध करते हैं. पंचांग के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन माह की अमावस्या तक 15 दिन की विशेष अवधि में श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. मान्यता के अनुसार इन 15 दिनों के लिए पितृ घर में विराजमान होते है जोकि हमारे वंश का कल्याण करते है. मान्यताओं के अनुसार जो लोग ऐसा नहीं करते, उनके पितर भूखे-प्यास ही धरती से लौट जाते हैं और परिवार को पितृदोष लगता है। श्राद्ध और तर्पण में श्रद्दा और शुद्धता का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। खासकर भोजन कराने से जुड़े कुछ ऐसे नियम हैं जिनका विशेष ध्यान रखना चाहिए। आईए, जानते हैं इन नियमों के बारे में.