Sarv Pitru Amavasya 2023: सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध का समापन, जानें मुहूर्त, श्राद्ध विधि और महत्व

By रुस्तम राणा | Published: October 13, 2023 06:02 PM2023-10-13T18:02:27+5:302023-10-13T18:02:27+5:30

सर्वपितृ अमावस्या पर उन पितरों का भी श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती है। इन पितरों को तृप्त करने के लिए श्राद्ध, पिंडदान, ब्राह्मण भोजन, तर्पण आदि किया जाता है।

Sarv Pitru Amavasya 2023: Conclusion of Shraddha on Sarv Pitru Amavasya, know the auspicious time, Shraddha method and importance | Sarv Pitru Amavasya 2023: सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध का समापन, जानें मुहूर्त, श्राद्ध विधि और महत्व

Sarv Pitru Amavasya 2023: सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध का समापन, जानें मुहूर्त, श्राद्ध विधि और महत्व

Sarv Pitru Amavasya 2023: सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्टूबर, शनिवार को है। हिन्दू शास्त्रों में आश्विन अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या, पितृ अमावस्या या महालय अमावस्या कहते हैं। यह श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है। मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष में हमारे दिवंगत परिजन धरती में विचरण करने आते हैं और आश्विन माह की अमावस्या के दिन पुनः परलोक चले जाते हैं। एक प्रकार से सर्व पितृ अमावस्या का दिन पितरों की विदाई का दिन है। 

सर्वपितृ अमावस्या तिथि

अमावस्या तिथि का प्रारम्भ 13 अक्टूबर को रात 09 बजकर 50 मिनट पर हो रहा है। वहीं इसका समापन 14 अक्टूबर रात 11 बजकर 24 मिनट पर होगा। 

सर्वपितृ अमावस्या पर मुहूर्त

कुतुप मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक
रौहिण मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 30 से 01 बजकर 16 मिनट तक
अपराह्न काल - दोपहर 01 बजकर 16 मिनट से 03 बजकर 35 मिनट तक 

इस विधि से करें पितरों का श्राद्ध

इस दिन प्रातः उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब श्राद्ध के लिए सात्विक भोजन तैयार करें। पकवान में से थोड़ा-थोड़ा भोजन निकाल कर एक थाली में लगाएं। अब अपने घर के आंगन में या छत पर जाकर पत्तल को दोनों में भोजन को जल के साथ रखें। अब पितरों से उसे ग्रहण करने का आग्रह करें और किसी भी त्रुटि के लिए उनसे क्षमा मांगे। शाम के समय सरसों के तेल के दीपक जलाकर चौखट पर रखें। अब पितरों से आशीर्वाद बनाए रखने और परलोक लौटने का आग्रह करें।

सर्वपितृ अमावस्या का महत्व

इस दिन उन पितरों का भी श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती है। इन पितरों को तृप्त करने के लिए श्राद्ध, पिंडदान, ब्राह्मण भोजन, तर्पण आदि किया जाता है। ये अज्ञात पितर भी पितृ पक्ष के दौरान पृथ्वी लोक में तृप्त होने की इच्छा रखते हैं। यदि आप इन अज्ञात पितरों का श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान नहीं करते हैं तो वे पृथ्वी लोक से निराश होकर चले जाते हैं। इससे उनका श्राप मिलने से पितृ दोष लग जाता है। घर-परिवार में कई तरह की समस्याएं आने लगती हैं।

Web Title: Sarv Pitru Amavasya 2023: Conclusion of Shraddha on Sarv Pitru Amavasya, know the auspicious time, Shraddha method and importance

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