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Ranjan Gogoi पर चल रहा Sexual Harrasment केस Supreme Court ने किया बंद

By गुणातीत ओझा | Published: February 19, 2021 12:55 AM

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पूर्व CJI गोगोई पर चल रहा यौन उत्पीड़न केस बंदसुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को फंसाने की ‘‘बड़ी साजिश’’ और शीर्ष अदालत में पीठ ‘फिक्सिंग’ जैसे आरोपों की जांच प्रक्रिया बंद करने का फैसला किया है। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि करीब दो साल गुजर गए हैं और जांच के लिए इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड बरामद होने की संभावना बहुत कम है। जांच प्रक्रिया बंद करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायमूर्ति गोगोई के खिलाफ मामले की अंदरूनी जांच पूरी हो चुकी है और न्यायमूर्ति एसए बोबडे (वर्तमान प्रधान न्यायाधीश) की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति पहले ही उनके दोषमुक्त होने संबंधी रिपोर्ट दे चुकी है। पीठ में न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन भी शामिल थे।कोर्ट ने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ए के पटनायक की समिति षड्यंत्र की जांच करने के लिए व्हाट्सऐप मैसेज जैसे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड प्राप्त नहीं कर सकी है, इसलिए स्वत: संज्ञान से शुरू किए गए मामले से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा। कोर्ट ने गुप्तचर ब्यूरो के निदेशक के पत्र का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि चूंकि न्यायमूर्ति गोगोई ने असम में एनआरसी सहित अन्य कई मुश्किल फैसले सुनाए, इसलिए हो सकता है कि उन्हें फंसाने की साजिश की जा रही हो। न्यायमूर्ति पटनायक की रिपोर्ट के हवाले से पीठ ने कहा कि यह मानने के ठोस कारण हैं कि तत्कालीन चीफ जस्टिस गोगोई को फंसाने की कोई साजिश की गई होगी। पीठ ने कहा कि 25 अप्रैल, 2019 के आदेशानुसार न्यायमूर्ति पटनायक की समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि वह व्यावहारिकता में इसकी जांच नहीं कर सकती कि तत्कालीन चीफ जस्टिस के न्यायिक फैसलों के कारण गोगोई के खिलाफ साजिश रची गई। ‘‘हमारा विचार है कि वर्तमान मामले में स्वत: संज्ञान से शुरू की गई प्रक्रिया अब बंद की जाए और रिपोर्ट को फिर से सीलबंद कर दिया जाए।’’पीठ ने कहा कि अधिवक्ता उत्सव सिंह बैंस द्वारा लगाए गए आरोपों के रिकॉर्ड और अन्य दस्तावेज/सामग्री तक सीमित पहुंच के कारण इनका पूरी तरह सत्यापन नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति पटनायक की रिपोर्ट का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसी प्रकार साजिश की संभावना की रिपोर्ट को भी पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता है। कोर्ट ने 25 अप्रैल, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पटनायक को न्यायमूर्ति गोगोई को फंसाने संबंधी ‘‘बड़ी साजिश’’ रचे जाने के एक वकील के आरोपों और न्यायालय में पीठ ‘फिक्सिंग’ के विवादित आरोपों की जांच का जिम्मा सौंपा था। न्यायमूर्ति गोगोई ने सुनवाई के दौरान कहा था कि यौन उत्पीड़न के आरोपों के पीछे कोई ‘‘बड़ी ताकत’’ है जो चीफ जस्टिस के कार्यालय को ‘‘निष्क्रिय’’ करना चाहती है।
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