सुप्रीम कोर्ट ने एनसीपी विधायकों की अयोग्यता मामले में स्पीकर को 15 दिन का अतिरिक्त समय दिया फैसला लेने के लिए
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: January 29, 2024 02:12 PM2024-01-29T14:12:32+5:302024-01-29T14:35:27+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने एनसीपी में हुए विभाजन के बाद दायर किये गये अयोग्यता की याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर को 15 दिनों का अतिरिक्त समय दिया है।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में हुए विभाजन के बाद दायर किये गये अयोग्यता की याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर को दिये निर्धारित तारीख 31 जनवरी की समय सीमा को बढ़ाते हुए 15 दिनों की अतिरिक्त मोहलत दी है।
यह विवाद पिछले साल उस समय पैदा हुआ था, जब शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी से उनके भतीजे अजित पवार ने बगावत करके पार्टी तो तोड़ दिया था और विधायकों के एक समूह के साथ महाराष्ट्र में सत्ताधारी शिवसेना (शिंदे गुट) और भाजपा के साथ समझौता करते हुए उपमुख्यमंत्री बन गये थे।
समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार इस विवाद में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पीकर राहुल नार्वेकर को बयान दर्ज करने के बाद मामले में फैसला देने के लिए उन्हें और समय दिया है।
मामले में स्पीकर नार्वेकर की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि स्पीकर मुख्य रूप से शिवसेना में विभाजन से जुड़ी अयोग्यता की कार्यवाही में व्यस्त हैं, जिस पर इस महीने की शुरुआत में निर्णय लिया गया था।
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने सीजेआई सहित पीठ में शामिल न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के सामने कहा, “एनसीपी विवाद में स्पीकर को साक्ष्यों से जिरह करने के दी गई तारीख 30 जनवरी को समाप्त हो जाएगी और अंतिम सुनवाई की तारीख भी 31 जनवरी को समाप्त हो जाएगी। हम मामले में निर्णय सुनाने के लिए कोर्ट से अतिरिक्त तीन सप्ताह का समय मांग रहे हैं। यह समय की व्यवहारिक मांग है, जो कोर्ट से हमें मिलनी चाहिए।”
वहीं केस में शरद पवार के खास जयंत पाटिल की ओर पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सॉलिसिटक जनरल द्वारा मांगे जा रहे तीन सप्ताह के समय विस्तार का विरोध करते हुए कहा कि स्पीकर नार्वेकर को फैसला लिखने के लिए एक सप्ताह का अतिरिक्त समय पर्याप्त होना चाहिए।
इस पर सीजेआई की पीठ ने कहा कि वह अजित पवार द्वारा पार्टी तोड़ने के बाद पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए 40 विधायकों और 5 एमएलसी के खिलाफ शरद पवार खेमे द्वारा दायर अयोग्यता याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाने के लिए स्पीकर को 15 फरवरी तक का अतिरिक्त समय देती है।
मालूम हो कि मई 2022 में शिवसेना में विभाजन के बाद तत्कालीन महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई और एकनाथ शिंदे ने राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला था। उसके बाद जुलाई 2023 में एनसीपी को भी इसी तरह का नुकसान उठाना पड़ा, जिसते बाद एनसीपी विधायक जयंत पाटिल ने मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके कोर्ट से अपील की थी वो स्पीकर राहुल नार्वेकर को आदेश दे कि वो अजित पवार सहित उनके गुट के एनसीपी विधायकों को अयोग्य किये जाने की मांग पर जल्द फैसला लें।
एनसीपी नेता जयंत पाटिल की यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में सितंबर महीने में दायर की गई थी, जिसमें कोर्ट से कहा गया था कि स्पीकर राहुल नार्वेकर पिछले तीन महीनों से एनसीपी विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर कोई फैसला नहीं ले रहे हैं। मामले में शरद पवार खेमे ने बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए कुल तीन याचिकाएं दायर कीं।