"दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे!" भारतीय क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने ये बात तब कही थी, जब वो अपने कुछ क्रांतिकारी साथियों के साथ बैठकर ठिठोली कर रहे थे। तब उनके मास्टर रुद्रनारायण ने ठिठोली करते हुए पूछा कि पंडित जी अगर आप अंग्रेज पुलिस के हत्थे गए तो क्या होगा? इस सवाल के बाद थोड़ी देर सन्नाटा पसरा रहा फिर पंडित जी ने अपनी धोती से रिवॉल्वर निकाली और लहराते हुए कहा, 'जबतक तुम्हारे पंडित जी के पास ये पिस्तौल है ना तबतक किसी मां ने अपने लाडले को इतना खालिस दूध नहीं पिलाया जो आजाद को जिंदा पकड़ ले।' और ठहाका मारकर हंस पड़े।भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के ऐसे निडर नायक चंद्रशेखर आजाद की आज यानी 23 फरवरी को पुण्यतिथि है। आज ही के दिन साल 1931 में मुठभेड़ के दौरान आजाद ने अंग्रेजों के हाथों पड़ने देने के बजाय खुद को गोली मारने का विकल्प चुना और इलाहबाद (Allahabad) के अल्फ्रेड पार्क को ऐतिहासिक बना दिया जो आज चंद्रशेखर आजाद पार्क के नाम से जाना जाता है। ऐसे में हम आपको बताएंगे साहस और बलिदान की अनूठी मिसाल पेश करने वाले महान क्रांतिकारी के जीवन से जुड़ी कुछ दिलस्प बातें...