सूचना का अधिकार अधिनियम भारत की संसद द्वारा पारित एक कानून है, जो 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ। यह कानून भारत के सभी नागरिकों को सरकारी फाइलों/रिकॉडर्स में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार देता है। जम्मू एवं कश्मीर को छोड़ कर भारत के सभी भागों में यह अधिनियम लागू है। सरकार के संचालन और अधिकारियों/कर्मचारियों के वेतन के मद में खर्च होने वाली रकम का प्रबंध भी हमारे-आपके द्वारा दिए गए करों से ही किया जाता है। यहां तक कि एक रिक्शा चलाने वाला भी जब बाज़ार से कुछ खरीदता है तो वह बिक्री कर, उत्पाद शुल्क इत्यादि के रूप में टैक्स देता है। इसलिए हम सभी को यह जानने का अधिकार है कि उस धन को किस प्रकार खर्च किया जा रहा है। यह हमारे मौलिक अधिकारों का एक हिस्सा है। Read More
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज सरकार ने आरटीआई आवेदन के लिए ऑनलाइन पोर्टल बना दिया है और आप ऑनलाइन भी आरटीआई दायर कर सकते हैं, जबकि 2014 से पहले ऐसा नहीं था। उनके अनुसार गत 5 साल में अधिक पारदर्शिता आई है जिससे कि आरटीआई लगाने की ज़रूरत ही ...
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि आरटीआई कानून सार्वजनिक (सरकारी) लेन-देन में पारदर्शिता लाने और सार्वजनिक जीवन में शुचिता लाने के लिए लाया गया था। पीठ ने कहा, ‘‘हमें यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि उपयुक्त सरकार द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बड़ी मात ...
सूचना आयुक्त तिवारी ने उमरिया जिले की चंदिया नगर पालिका के अधिकारियों-- विनोद चतुर्वेदी और नरेन्द्र कुार पांडे--को ढाई-ढाई लाख रुपये के जुर्माने के नोटिस जारी किये हैं। तिवारी ने कहा, ‘‘बार-बार अवसर दिए जाने के बावजूद लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ) यह स्प ...
सुप्रीम कोर्ट ने कई बार केंद्रीय सूचना आयुक्तों को आरटीआई का ‘अभिभावक’ कहा है. जनता को मौलिक अधिकार देनेवाला ऐसा एकमात्र कानून है आरटीआई, जिसमें बदलाव नहीं किया जा सकता. ...
यह अधिनियम 2005 से सुचारु रूप से चल रहा है और भ्रष्टाचार को मिटाने तथा प्रशासनिक अक्षमता दूर करने व नागरिकों को उनका हक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. ...
ट्वीट कर कहा, '' सरकार आरटीआई को कमजोर कर रही है ताकि भ्रष्टाचार को मदद दी जाए।'' गांधी ने यह भी कहा, ''अजीब बात है कि आमतौर पर शोर मचाने वाली भ्रष्टाचार विरोधी भीड़ अचानक से गायब हो गयी है।'' ...
240 सदस्यीय राज्य सभा में भाजपा और राजग (एनडीए) के पास 102 सदस्यों का समर्थन था जबकि विपक्ष के पास 138 सांसद थे. इसके बावजूद विवादास्पद सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक को 117 सदस्यों का समर्थन हासिल कर पारित करवा कर भाजपा ने इतिहास बना दिया. ...
प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने इस घटना का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि आज पूरे सदन ने देख लिया कि आपने (सत्तारूढ़ भाजपा) ने चुनाव में 303 सीटें कैसे प्राप्त की थीं? उन्होंने दावा किया कि सरकार संसद को एक सरकारी विभाग की तरह चलाना चाहती है। ...