भाजपा ने विपक्ष में सेंध लगाकर राज्यसभा में हासिल किया बहुमत, ऐसा पारित करवाया आरटीआई (संशोधन) विधेयक
By हरीश गुप्ता | Published: July 26, 2019 08:29 AM2019-07-26T08:29:42+5:302019-07-26T08:29:42+5:30
240 सदस्यीय राज्य सभा में भाजपा और राजग (एनडीए) के पास 102 सदस्यों का समर्थन था जबकि विपक्ष के पास 138 सांसद थे. इसके बावजूद विवादास्पद सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक को 117 सदस्यों का समर्थन हासिल कर पारित करवा कर भाजपा ने इतिहास बना दिया.
पहले जिसके बारे में सोचा भी नहीं जा रहा था ,वह भाजपा ने कर दिखाया. 240 सदस्यीय राज्य सभा में भाजपा और राजग (एनडीए) के पास 102 सदस्यों का समर्थन था जबकि विपक्ष के पास 138 सांसद थे. इसके बावजूद विवादास्पद सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक को 117 सदस्यों का समर्थन हासिल कर पारित करवा कर भाजपा ने इतिहास बना दिया. 117 सांसदों का समर्थन यह साबित करता है कि सरकार अब राज्यसभा में भी सहज स्थिति में पहुंच गई है.
गुरुवार को राज्यसभा में सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक को पारित किए जाने समय कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने यह मानते हुए कि मतदान में उनकी पराजय तय है, सदन से बहिर्गमन किया. उन्होने यह आरोप भी लगाया कि मतदान के दौरान सत्ता पक्ष के कुछ सदस्य, विपक्षी सांसदों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे थे. कांग्रेस ने हालांकि तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, वामपंथियों और अन्य को साथ लाने में सफलता हासिल की थी, लेकिन भाजपा अपने गठबंधन से इतर कुछ अन्य पार्टियों जैसे एआईडीएमके, वायएसआर कांग्रेस और टीआरएस को अपने साथ खड़ा होने के लिए मनाने में कामयाब रही.
विधेयक पर अपनी पराजय एक तरह से स्वीकार करते हुए कांग्रेस के जयराम रमेश ने विधेयक पर चल रही चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुए कहा भी था कि मुझे जानकारी है कि बहुमत हासिल करने के लिए राज्यों की राजधानियों में फोन किए जा रहे हैं .वायएसआर कांग्रेस के राज्यसभा में दो सांसद है. बताया जाता है कि पीडीपी के दो सांसदों और जद (एस ) के इकलौते सांसद ने मतदान के समय सदन से गायब रहना ही उचित समझा.
अश्चर्यजनक रूप से तेलुगू देशम के दो सांसदों ने भी विधेयक पर बोलते हुए नरम रुख अपनाया, तीन तलाक विधेयक का विरोध कवने की घोषणा कर चुके जद (यू) ने भी इस विधेयक के पक्ष में मत दिया. एक रोचक तथ्य यह भी था कि भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों ,और कांग्रेस को छोड़ अन्य किसी भी विपक्षी दल ने इस बारे में कोई व्हिप जारी नहीं किया था कि उसके सदस्य सदन में मौजूद रहें. यही कारण था कि जिस समय सदन में मतदान हुआ, काफी कम तादाद में सदस्य उपस्थित थे.