सूचना का अधिकार अधिनियम भारत की संसद द्वारा पारित एक कानून है, जो 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ। यह कानून भारत के सभी नागरिकों को सरकारी फाइलों/रिकॉडर्स में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार देता है। जम्मू एवं कश्मीर को छोड़ कर भारत के सभी भागों में यह अधिनियम लागू है। सरकार के संचालन और अधिकारियों/कर्मचारियों के वेतन के मद में खर्च होने वाली रकम का प्रबंध भी हमारे-आपके द्वारा दिए गए करों से ही किया जाता है। यहां तक कि एक रिक्शा चलाने वाला भी जब बाज़ार से कुछ खरीदता है तो वह बिक्री कर, उत्पाद शुल्क इत्यादि के रूप में टैक्स देता है। इसलिए हम सभी को यह जानने का अधिकार है कि उस धन को किस प्रकार खर्च किया जा रहा है। यह हमारे मौलिक अधिकारों का एक हिस्सा है। Read More
पीएमओ ने आरटीआई के जवाब में कहा कि नागरिकता कानून 1955 की धारा 3 के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जन्म से ही भारतीय हैं और यही उनके भारतीय होने का मूल आधार है। ...
2018 में बलात्कार के 70 मामलों में से 59 मामले रेलवे परिसर में जबकि 11 ट्रेनों में हुए। 2017 में बलात्कार के 51 मामलों में से 41 रेलवे परिसर में जबकि 10 चलती ट्रेनों में सामने आये। महिलाओं के खिलाफ बलात्कार के अलावा अपराध के 1672 मामले हुए हैं जिसमें ...
भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले साल सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में कहा था कि केंद्रीय बैंक ने 2,000 के नोट की छपाई बंद कर दी है। सूत्रों ने बुधवार को कहा कि वित्त मंत्रालय की ओर से इस बारे में कोई निर्देश नहीं है। बैंक ने खु ...
सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत दायर एक आवेदन के उत्तर में यह पता चला है। कंपनी ने एक आरटीआई आवेदन के उत्तर में बुधवार को बताया कि वीवीआईपी की चार्टर उड़ानों को लेकर 30 नवंबर 2019 तक उसका 822 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया था। ...
जेएनयू प्रशासन ने तीन जनवरी को दावा किया था कि नकाब पहने छात्रों के एक समूह ने सीआईएस में जबरन प्रवेश किया और विद्युत आपूर्ति बंद कर दी जिससे सर्वर, सीसीटीवी निगरानी, बायोमीट्रिक उपस्थिति और इंटरनेट सेवाएं निष्क्रिय हो गईं. ...
जनवरी के शुरुआती हफ्ते में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जेएनयू के बारे में कहा था, मैं निश्चित रूप से आपको बता सकता हूं कि जब मैं जेएनयू में पढ़ता था, हमने वहां कोई 'टुकड़े-टुकड़े' गैंग नहीं देखा। ...
सीआईसी ने वित्त मंत्रालय के तहत डीईए, वित्तीय सेवा विभाग, राजस्व विभाग तथा चुनाव आयोग के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारियों (सीपीआईओ) को कारण बताओ नोटिस जारी करके यह भी पूछा है कि 30 दिन की निर्धारित अवधि के अंदर सूचना नहीं देने के लिए उन सभी पर जुर्माना ...