सूचना का अधिकार अधिनियम भारत की संसद द्वारा पारित एक कानून है, जो 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ। यह कानून भारत के सभी नागरिकों को सरकारी फाइलों/रिकॉडर्स में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार देता है। जम्मू एवं कश्मीर को छोड़ कर भारत के सभी भागों में यह अधिनियम लागू है। सरकार के संचालन और अधिकारियों/कर्मचारियों के वेतन के मद में खर्च होने वाली रकम का प्रबंध भी हमारे-आपके द्वारा दिए गए करों से ही किया जाता है। यहां तक कि एक रिक्शा चलाने वाला भी जब बाज़ार से कुछ खरीदता है तो वह बिक्री कर, उत्पाद शुल्क इत्यादि के रूप में टैक्स देता है। इसलिए हम सभी को यह जानने का अधिकार है कि उस धन को किस प्रकार खर्च किया जा रहा है। यह हमारे मौलिक अधिकारों का एक हिस्सा है। Read More
उच्चतम न्यायालय ने भारतीय रिजर्व बैंक के एक निर्देश के खिलाफ एसबीआई और एचडीएफसी बैंक सहित अन्य बैंकों की याचिकाओं को एक अन्य पीठ के पास भेज दिया है। बैंकों ने सूचना के अधिकार ( आरटीआई ) के तहत महत्वपूर्ण सूचनाएं.. मसलन गोपनीय वार्षिक रिपोर्ट और डिफॉल ...
बिहार में नीतीश सरकार पर लगातार कई आरोप लग रहे हैं। अब नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक यानी सीएजी ने खुलासा किया है कि राज्य में एक घोटाला हुआ है। विपक्ष ने हमला कर दिया है। ...
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के अप्रैल 2013 के बाद के सभी विदेश दौरों से संबंधित एसआरएफ-प्रथम और एसआरएफ-द्वितीय प्रमाणित प्रतियों की मांग की है। ...
पीएम मोदी के इशारे पर एक ऐसे व्यक्ति को सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया जिसने इस पद के लिये कोई आवेदन ही नहीं किया था। हैरानी की बात तो यह है सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को भी झूठी जानकारी दी। ...
यशवर्धन सिन्हा पहले से ही सूचना आयुक्त के रूप में कार्यरत थे. पिछले कई महीनों से मुख्य सूचना आयुक्त का पद खाली रहने के चलते हजारों आरटीआई के मामले लंबित हो गए थे. ...
सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी के अनुसार 167 साल के इतिहास में पहली बार भारतीय रेलवे ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में टिकट बुकिंग से हुई आय से ज्यादा राशि लोगों को रिफंड की। ...