अधीर रंजन ने सरकार पर बोला हमला, कहा-पीएम मोदी संवैधानिक संस्थाओं में नियमों को ताक पर रख कर रहे हैं नियुक्तियां

By शीलेष शर्मा | Published: October 30, 2020 09:00 PM2020-10-30T21:00:45+5:302020-10-30T21:00:45+5:30

पीएम मोदी के इशारे पर एक ऐसे व्यक्ति को सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया जिसने इस पद के लिये कोई आवेदन ही नहीं किया था। हैरानी की बात तो यह है सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को भी झूठी जानकारी दी। 

government pm narendra modi congress Adhir Ranjan Chaudhary attacked appointing rules constitutional institutions | अधीर रंजन ने सरकार पर बोला हमला, कहा-पीएम मोदी संवैधानिक संस्थाओं में नियमों को ताक पर रख कर रहे हैं नियुक्तियां

वरिष्ठ सूचना आयुक्त की नियुक्ति के पक्ष में थे लेकिन उनके सुझावों को दरकिनार कर मन माने ढंग से नियुक्तियां की गयी.

Highlightsमोदी सरकार ने जो शपथ पत्र अदालत को सौंपा उसमें बताया कि जो आवेदन प्राप्त होते हैं, उन्हीं आवेदनों से आयुक्तों की नियुक्ति की जाती है।समिति के सदस्य अधीर रंजन चौधरी ने खुलासा किया कि पत्रकार उदय माहूरकर का कोई आवेदन नहीं था।बैठक में इन पदों का चयन किया जा रहा था उसमें उन्होंने उदय माहूरकर के नाम पर कड़ी आपत्ति की थी।

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारे पर सूचना आयोग में हाल ही हुयी नियुक्तियों को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है क्योंकि मोदी के इशारे पर एक ऐसे व्यक्ति को सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया जिसने इस पद के लिये कोई आवेदन ही नहीं किया था। हैरानी की बात तो यह है सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को भी झूठी जानकारी दी। 

2019 में जब नियुक्तियों को लंबित रखने को लेकर विवाद उठा उस समय मोदी सरकार ने जो शपथ पत्र अदालत को सौंपा उसमें बताया कि जो आवेदन प्राप्त होते हैं, उन्हीं आवेदनों से आयुक्तों की नियुक्ति की जाती है।

लोकमत ने जब पड़ताल की तो चयन समिति के सदस्य अधीर रंजन चौधरी ने खुलासा किया कि पत्रकार उदय माहूरकर का कोई आवेदन नहीं था। उनकी नियुक्ति महज़ इस आधार पर की गयी वह मोदी भक्त हैं। अधीर ने यह भी साफ़ किया कि जिस बैठक में इन पदों का चयन किया जा रहा था उसमें उन्होंने उदय माहूरकर के नाम पर कड़ी आपत्ति की थी।

पूछा कि जिस व्यक्ति ने आवेदन ही नहीं किया उसकी नियुक्ति कैसे की जा रही है,केवल इस कारण कि वह मोदी भक्त हैं और उन पर किताब लिखी है। प्रधानमंत्री मोदी ने अधीर की आपत्ति को पूरी तरह खारिज कर नियुक्ति कर डाली।

अधीर रंजन मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर भी सबसे वरिष्ठ सूचना आयुक्त की नियुक्ति के पक्ष में थे लेकिन उनके सुझावों को दरकिनार कर मन माने ढंग से नियुक्तियां की गयी, कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह अपने चापलूसों को संवैधानिक संस्थाओं में नियुक्त कर लोकतंत्र को समाप्त करने में लगे हैं जहाँ विपक्ष की कोई आवाज़ नहीं है। 

ग़ौरतलब है कि इस समय सूचना आयोग में 35 हज़ार से अधिक शिकायतें लंबित पड़ी हैं, क्योंकि विमल जुल्का के जाने के बाद मोदी सरकार ने नियुक्तियां ही की, जब सर्वोच्च न्यायालय ने चाबुक चलाया तब नियुक्तियां तो की लेकिन केवल उनकी जो उनके चापलूस और भक्त बताये जा रहे हैं।  

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