एम्स ने विसरा जांच का हिसाब देने से किया इनकार, आरटीआई में खुलासा
By नितिन अग्रवाल | Published: December 29, 2020 01:27 PM2020-12-29T13:27:00+5:302020-12-29T13:28:17+5:30
एम्स के फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सोलॉजी विभाग के डॉ. मिलाओ ताबिन ने बताया कि पिछले साल 2019 में एम्स में 2491 पोस्टमार्टम किए गए.
नई दिल्लीः साल 2020 में राजनीति से लेकर बॉलीवुड तक में भूचाल खड़ा करने वाले सबसे चर्चित अभिनेता सुशांत सिंह मामले में विसरा की फॉरेंसिक जांच के आधार पर जांच का रुख मोड़ने वाले देश के सबसे प्रतिष्ठित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में विसरा जांच का कोई हिसाब नहीं रखा जाता है.
पिछले एक साल में यहां लगभग 2500 पोस्टमार्टम किए गए, लेकिन सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी में एम्स ने लोकमत समाचार को बताया जो कुछ बताया उससे मालूम होता है कि साल भर में की गई विसरा जांच के आंकड़े रखना तो दूर तैयार ही नहीं किए जाते हैं.
एम्स के फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सोलॉजी विभाग के डॉ. मिलाओ ताबिन ने बताया कि पिछले साल 2019 में एम्स में 2491 पोस्टमार्टम किए गए. लेकिन हर साल कितने विसरा की जांच की जानकारी संरक्षित की जाती है इसका कोई हिसाब नहीं है.
इतना ही नहीं विभाग ने यह भी जानकारी नहीं दी कि किस राज्य से कितनी विसरा जांच की गई. हालांकि उन्होंने विसरा जांच में किसी भी प्रकार की देरी से साफ इनकार किया. विसरा जांच में देरी के सवाल पर उन्होंने बताया कि विसरा के नमूनों का विश्लेषण फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी(एफएसएल) में किया जाता है.
जांच अधिकारी द्वारा जैसे ही विसरा रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाती है फॉरेंसिक चिकित्सक बिना किसी देरी के पोस्टमार्टम में अपनी अंतिम रिपोर्ट दे देते हैं. हालांकि उन्होंने साफ किया एफएसएल के स्तर पर लंबित मामलों के अतिरिक्त एम्स में विसरा जांच का कोई भी मामला बकाया नहीं हैं.