कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा है कि बट्टे खाते में डाले गए एनपीए का मूल्य वित्त वर्ष 2022-23 के राजकोषीय घाटे का लगभग 61 प्रतिशत है। ...
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर पांच प्रतिशत पर आ गयी, जो छह साल में सबसे निम्न स्तर है। मूडीज के वित्तीय संस्थाओं के समूह के उपाध्यक्ष श्रीकांत वादलामणि ने कहा कि बैंकों को मिलाने के इस कदम से उनकी परिचालन बेहतर होगी और उनकी प्रत ...
बैंकों में पूंजी डालना सरकार का रूटीन वर्क है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के साथ-साथ एमएसएमई को एक बार फिर से लांच करने की जरूरत है ताकि अर्थव्यवस्था के मूल रूप को बदला जा सके. ...
अरुण जेटली ने राजकोषीय घाटा को इस वित्त वर्ष में 3.4 प्रतिशत रखने का लक्ष्य रखा था जो इस साल 3.5 रह सकता है. सरकार को अपनी आमदनी बढ़नी होगी.अमीरों पर लगने वाले वेल्थ टैक्स को और बढ़ाना होगा. बड़े किसानों के ऊपर टैक्स लगाना होगा. ...
2018-19 में अब तक केंद्र सरकार लगभग 100 हजार करोड़ रु. की पूंजी उपलब्ध करा चुकी है. ये रकमें सरकारी बैंकों को इसलिए उपलब्ध करनी पड़ीं क्योंकि इनके द्वारा घाटा खाया जा रहा था और इनके डूबने की शंका थी. ...
आरबीआई के आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि सरकारी बैंकों का 31 मार्च 2015 तक एनपीए 2,79,016 करोड़ रुपये था जो पिछले साल 31 मार्च को बढ़कर 8,95,601 करोड़ रुपये हो गया। ...
आरबीआई की रिपोर्ट सरकार के लिए एक चुनौती की तरह है. क्योंकि जिस तरह से एनपीए को निपटाने के लिए IBC कानून की आर्थिक विशेषज्ञों ने सराहना की है उससे सरकार पर नैतिक दबाव बढ़ गया है. ...
आरबीआई की रिपोर्ट से साफ झलकता है कि बैड लोन के रिकवरी प्रोसेस को लेकर सरकार ने जो कदम उठाये थे, उससे कहीं न कहीं बैंकों को फायदा मिला है. मोदी सरकार ने 2016 में NPA की समस्या से निबटने के लिए insolvency and bankruptcy code लेकर आई थी. ...