आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन गुरु का पूजन किया जाता है। समूचे भारतवर्ष में गुरु पूर्णिमा बड़ी श्रद्वा भक्ति से मनाई जाती है। सभी शिष्य अपने-अपने गुरु का पूजन करते हैं। चारों वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अर्थवेद के प्रथम प्रख्याता व पराशर ऋषि के पुत्र कृष्ण द्वैपायन का पूजन विशेष रूप से किया जाता है। वेदों का ज्ञान हमें व्यासजी से प्राप्त हुआ है, इसलिए वही आदिगुरु है। व्यासजी की स्मृति बनाए रखने के लिए हमें अपने अपने गुरु को व्यास जी का अंश मानकर श्रद्वा भक्ति से उनका पूजन करना चाहिए। Read More
पवित्र हिंदू धर्मग्रंथों में ऐसे कई मंत्र या श्लोक हैं जो बताते हैं कि गुरु अनिवार्य रूप से 'सर्वोच्च प्राणी' है जो लोगों को उनके अंतिम आध्यात्मिक लक्ष्यों को प्राप्त करने और जीवन भर धार्मिकता के मार्ग पर चलने में मदद करने के लिए जीवन में जरूरी होते ...
गुरु नानक देव की वाणी ज्ञान, वैराग्य और भक्ति का अमृत मंथन है, जिसके माध्यम से उन्होंने नवीन एवं अनूठा धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक दर्शन विश्व को प्रदान किया। ...
हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है. इस बार ये 13 जुलाई को है. प्राचीन काल से ही गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा करने का चलन है. ...
इस बार गुरु पूर्णिमा पर मंगल, बुध, गुरु और शनि के अनुकूल स्थिति में विराजमान होने की वजह से शुभ योग बन रहे हैं। इसमें रूचक योग, भद्र योग, हंस योग और शश नामक राजयोग है। ...
इस महीने की शुरूआत जहां जगन्नाथ रथ यात्रा से हो रही है तो माह का अंत हरियाली तीज के साथ हो रहा है। इसके अलावा इस महीने देवशयनी एकादशी, व्यास पूर्णिमा, हरियाली तीज जैसे पर्व आएंगे। ...