भारत के अलावा दुनिया के कई देश इस फाइटर जेट का इस्तेमाल करते हैं। इस लड़ाकू विमान की सबसे खास बात ये है कि इसे किसी भी देश की भौगोलिक परिस्थितियों और जरूरत के हिसाब से ढाला जा सकता है। ...
सभी रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू), रक्षा वस्तुओं का निर्माण करने वाले अन्य सार्वजनिक उपक्रमों और निजी कंपनियों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, देश में रक्षा उत्पादन का मूल्य रिकॉर्ड-उच्च आंकड़े, यानी, 1,26,887 करोड़ तक बढ़ गया है। ...
एके- 203 राइफल में 7.62x39एमएम की गोलियां लगती हैं और इसकी रेंज 800 मीटर है। इसका मतलब ये है कि अगर एके- 203 की रेंज में आ गए तो किसी भी दुश्मन का बचना मुश्किल है। ये असाल्ट राइफल एक मिनट में 700 गोलियां दाग सकती है। ...
डसॉल्ट ने पेशकश की है भारतीय वायुसेना की मांग को पूरा करने के लिए स्थानीय स्तर पर राफेल लड़ाकू जेट बनाने के लिए कंपनी तैयार है। इसके अलावा इंजन निर्माता सफ़रन एसए हैदराबाद में राफेल लड़ाकू इंजन की मरम्मत के लिए एक एमआरओ सुविधा स्थापित कर रही है, जो 2 ...
इस सौदे का मुख्य लक्ष्य भारत के भीतर S-400 वायु रक्षा प्रणालियों का रखरखाव और मरम्मत करना है। स्थानीय स्तर पर इन प्रणालियों के लिए कलपुर्जे का उत्पादन करने की भी योजना है। संभव है कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस की तरह एक संयुक्त उद्यम की स्थापना हो। ...
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एमआर-एमओसीआर के सफल विकास पर डीआरडीओ और भारतीय नौसेना की सराहना की है। उन्होंने एमओसी तकनीक को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक और कदम बताया। ...
156 प्रचंड हेलीकॉप्टरों में से सेना के लिए 90 और भारतीय वायुसेना के लिए 66 हैं। इन लड़ाकू हेलीकॉप्टरों के आने से सेना की ताकत में कई गुना इजाफा हो जाएगा। ...
अन्य आत्मघाती ड्रोन्स के विपरित नागास्त्र जरूरत पड़ने पर मिशन को बीच में रोक भी सकता है। इसे सुरक्षित रूप से वापस लाया जा सकता है। "कामिकेज़ मोड" में यह जीपीएस का इस्तेमाल करता है और अपने लक्ष्य पर 2 मीटर की सटीकता प्राप्त कर सकता है। ...