आर्टिकल 370 के प्रावधान के तहत जम्मू कश्मीर को विशेषाधिकार दिए जाते हैं। इसके अनुसार भारतीय संसद द्वारा पारित कोई भी प्रस्ताव, नियम या नीति में बदलाव जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होता। जम्मू कश्मीर राज्य का अपना संविधान और झंडा है। देश में घोषित आपातकाल या आर्थिक आपातकाल कश्मीर में लागू नहीं होता। भारत की संसद जम्मू कश्मीर की विधानसभा भंग नहीं कर सकती। अनुसूचित जाति और अनिसूचित जनजाति सम्बंधी नियम जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होते। Read More
फारुख अब्दुल्ला ने कहा, "मैं उन सभी का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने मेरी आजादी के लिए बात की। मैं आज एक आजाद इंसान हूं, लेकिन यह आजादी उन लोगों की रिहाई के बिना पूरी नहीं होती, जो अभी भी हिरासत में हैं।" ...
नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फ़ारुख़ अब्दुल्ला ने कहा कि मैं राज्य के नेताओं, लोगों और देश के बाकी हिस्सों के लोगों का आभारी हूं जिन्होंने हमारी आज़ादी के लिए आवाज़ उठाई। ...
हर साल परिवारवालों और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ धूमधाम से जन्मदिन मनाने वाले उमर अब्दुल्ला ने इस बार नजरबंदी में महज छह लोगों के साथ अपना जन्मदिन मनाया। जन्मदिन के मौके पर उमर अब्दुल्ला से मिलने के लिए केवल छह लोगों को इजाजत मिल पाई। यहां तक की उनसे ...
संसद ने पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 के प्रावधानों को हटाने की मंजूरी दी थी. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए हैं. ...
उमर अब्दुल्ला भूतपूर्व जम्मू कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों में शामिल हैं जिन्हें पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बाद से हिरासत में रखा गया है। ...
अधिकारियों ने बताया कि पिता-पुत्री की पहचान पीर तारिक और इंशा के रूप में हुई है। दोनों को हिरासत में लेने के लिए जम्मू लाया गया है। पिछले साल 14 फरवरी को हुए पुलवामा हमले की जांच एनआईए कर रही है। ...
उमर अब्दुल्ला को जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में रखे जाने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका पर हुई सुनवाई के बाद यहां संवाददाताओं से बात करते हुए सारा ने कहा कि उन्हें जल्दी सुनवाई की उम्मीद है क्योंकि मामला बंदी प्रत्यक्षीकरण का है ...