14 मई, 1954 को राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था। इस आदेश के जरिए संविधान में एक नया अनुच्छेद 35-ए जोड़ दिया गया। संविधान की धारा 370 के तहत यह अधिकार दिया गया है। 35-ए संविधान का वह अनुच्छेद है जो जम्मू कश्मीर विधानसभा को लेकर प्रावधान करता है कि वह राज्य में स्थायी निवासियों को पारभाषित कर सके। वर्ष 1956 में जम्मू कश्मीर का संविधान बना, जिसमें स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया है। Read More
राष्ट्रपति के इस आदेश को साधारण बहुमत से पारित कर सकते हैं. ऐसा पहली बार नहीं हुआ. इसके पहले कांग्रेस पार्टी 1952 में और 1962 में धारा 370 में इसी तरीके से संशोधन कर चुकी है. उसी रास्ते पर यह हुआ है. इस तरह इसको असंवैधानिक कहना गलत है. ...
गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का संकल्प पेश किया। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का संकल्प भी पेश किया। अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश होंगे। इस पूरे मामले पर जब लोकमत टीम ने आम लोगो ...
1964 की प्रतिनिधि सभा में पहली बार धारा 370 को रद्द करने की मांग को आक्रामकता से उठाया गया. संघ ने तब कहा था कि धारा-370 को अस्थायी रूप से लागू किया गया था, अब उसे रद्द कर जम्मू-कश्मीर को अन्य राज्यों की भांति दर्जा देना चाहिए. ...
राज्यसभा की बैठक शुरू होते ही शाह ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने की घोषणा की, और इस तरह कई दिनों से चली आ रही अटकलों, चिंता और रहस्य-रोमांच पर विराम लग गया। ...
ब्रिटेन में बसे कश्मीरी स्वाधीनता कार्यकर्ता ने कहा,‘‘यह निर्णय मूर्खतापूर्ण, अन्यायी और लोकतंत्र के स्थापित नियमों के खिलाफ है। माटी के सभी सच्चे सपूत इस मूर्खतापूर्ण निर्णय का विरोध करेंगे। सड़कों पर, अदालतों में और सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे च ...
लोकसभा में मंगलवार को सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर से संबंधित संकल्प और विधेयक लाए जाने के मद्देनजर कांग्रेस ने सदन के अपने सभी सदस्यों को व्हिप जारी कर उपस्थित रहने को कहा है। ...
द्विवेदी ने कहा कि यह राष्ट्रीय संतोष की बात है कि स्वतंत्रता के समय की गई गलती को सुधारा गया है। उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत पुराना मुद्दा है। स्वतंत्रता के बाद कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नहीं चाहते थे कि अनुच्छेद 370 रहे। मेरे राजनीतिक गुरु राम मनोहर ...