अवधेश कुमार का ब्लॉग: इतिहास की भूलों का अंत और नए इतिहास का निर्माण

By अवधेश कुमार | Published: August 6, 2019 10:05 AM2019-08-06T10:05:07+5:302019-08-06T10:05:07+5:30

राष्ट्रपति के इस आदेश को साधारण बहुमत से पारित कर सकते हैं. ऐसा पहली बार नहीं हुआ. इसके पहले कांग्रेस पार्टी 1952 में और 1962 में धारा 370 में इसी तरीके से संशोधन कर चुकी है. उसी रास्ते पर यह हुआ है. इस तरह इसको असंवैधानिक कहना गलत है.

Awadhesh Kumar blog on article 370: The end of history mistakes and creation of new one | अवधेश कुमार का ब्लॉग: इतिहास की भूलों का अंत और नए इतिहास का निर्माण

गृहमंत्री अमित शाह। (फोटो - राज्यसभा टीवी)

जब राज्यसभा में गृह मंत्नी अमित शाह अपने हाथों में विधेयक और संकल्पों की प्रतियां लेकर बोलने को खड़े हुए, तब शायद ही किसी ने कल्पना की होगी कि वाकई वो इतिहास बदलने का दस्तावेज लेकर आए हैं.

जैसे ही शाह ने कहा कि महोदय, मैं संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि यह सदन अनुच्छेद 370(3) के अंतर्गत भारत के राष्ट्रपति द्वारा जारी की जाने वाली निम्नलिखित अधिसूचनाओं की सिफारिश करता है -हंगामा आरंभ हो गया. एक ओर वाह-वाह तो दूसरी ओर विरोध.

उन्होंने हंगामे के बीच ही पढ़ा कि संविधान के अनुच्छेद 370(3) के अंतर्गत भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 खंड 1 के साथ पठित अनुच्छेद 370 के खंड 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति संसद की सिफारिश पर यह घोषणा करते हैं कि यह दिनांक जिस दिन भारत के राष्ट्रपति द्वारा इस घोषणापत्न पर हस्ताक्षर किए जाएंगे और इसे सरकारी गजट में प्रकाशित किया जाएगा उस दिन से अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे, सिवाय खंड 1 के. जिनको भी धारा 370 के अतीत और प्रावधानों तथा उसके परिणामों का पता है उनके लिए यह असाधारण तथा इतिहास को पूरी तरह बदल देने वाला कदम है.

जम्मू-कश्मीर को बांटकर लद्दाख को अलग तथा जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाने का फैसला भी अभूतपूर्व है. इस तरह अमित शाह के चारों संकल्प ऐतिहासिक थे. 

यह आम धारणा थी कि धारा 370 को जम्मू-कश्मीर से हटाने का फैसला करने के लिए संसद का बहुमत पर्याप्त नहीं होगा. चूंकि इसे जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा ने भी पारित किया था इसलिए उसका कोई रास्ता निकालना होगा. लेकिन संविधानविदों ने साफ कर दिया था कि राष्ट्रपति को अनुच्छेद 370 के उपबंध (3) के तहत अनुच्छेद 370 को खत्म करने का अधिकार है.

शाह ने सदन में धारा 370 के खंड 3 का उल्लेख किया और कहा कि देश के राष्ट्रपति महोदय को धारा 370(3) के अंतर्गत सार्वजनिक अधिसूचना से धारा 370 को सीज करने का अधिकार है. चूंकि संविधान सभा तो अब है ही नहीं, वह समाप्त हो चुकी है, इसलिए संविधान सभा के अधिकार जम्मू-कश्मीर विधानसभा में निहित होते हैं. चूंकि वहां राज्यपाल शासन है, इसलिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा के सारे अधिकार संसद के दोनों सदन के अंदर निहित हैं.

राष्ट्रपति के इस आदेश को साधारण बहुमत से पारित कर सकते हैं. ऐसा पहली बार नहीं हुआ. इसके पहले कांग्रेस पार्टी 1952 में और 1962 में धारा 370 में इसी तरीके से संशोधन कर चुकी है. उसी रास्ते पर यह हुआ है. इस तरह इसको असंवैधानिक कहना गलत है.

Web Title: Awadhesh Kumar blog on article 370: The end of history mistakes and creation of new one

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