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सोनिया गांधी से मिले शरद पवार, नहीं खोले पत्ते, महाराष्ट्र में सरकार गठन की तस्वीर अब तक साफ नहीं

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 18, 2019 20:08 IST

राकांपा प्रमुख शरद पवार सोनिया गांधी से मिलने उनके 10 जनपथ स्थित आवास पहुंचे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने कहा है कि उसके प्रमुख शरद पवार महाराष्ट्र में सरकार गठन पर चर्चा के लिए सोमवार को कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की।

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ठळक मुद्देराकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र में सरकार गठन के मुद्दे पर चर्चा के लिये कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की।राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार सोमवार शाम को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया के आवास पहुंचे जहां दोनों साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर चर्चा की।

महाराष्ट्र में गतिरोध जारी है। इस बीच राकांपा प्रमुख शरद पवारकांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने उनके 10 जनपथ स्थित आवास पहुंचे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने कहा है कि उसके प्रमुख शरद पवार महाराष्ट्र में सरकार गठन पर चर्चा के लिए सोमवार को कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की।

रायबरेली से कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि हमने महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति के बारे में विस्तार से चर्चा की। मैंने उसे इस पर जानकारी दी। एके एंटनी भी थे। दोनों (कांग्रेस-राकांपा) दलों के कुछ नेता मिलेंगे और आगे चर्चा करेंगे। हमारी बैठक में सरकार गठन की कोई बात नहीं हुई, यह बैठक कांग्रेस और एनसीपी के बारे में चर्चा करने वाली थी।

राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र में सरकार गठन के मुद्दे पर चर्चा के लिये कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। इस बीच कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की और महाराष्ट्र की स्थिति पर उन्हें जानकारी दी। शरग पवार ने कहा कि किसने 170 विधायकों का समर्थन होने का दावा किया है। मुझे इस 170 के आंकड़े के बारे में जानकारी नहीं है। आपको उनसे (शिवसेना) पूछना चाहिए था।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने सोमवार शाम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। हालांकि उन्होंने अपने पत्ते नहीं खोले और केवल इतना कहा कि महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर चर्चा नहीं हुई है और उन्होंने सोनिया को सिर्फ मौजूदा राजनीतिक हालात के बारे में जानकारी दी है।

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी और स्वाभिमानी शेतकारी संगठन जैसे उन छोटे दलों के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा जो कांग्रेस-राकांपा के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे। पवार की सोनिया से मुलाकात से पहले यह अटकले लगाई जा रही थीं कि दोनों नेताओं के बीच बातचीत के बाद महाराष्ट्र में सरकार गठन की तस्वीर पूरी तरह साफ हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सोनिया से मुलाकात के बाद पवार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार गठन के बारे में चर्चा नहीं की। हमने सिर्फ राज्य में राजनीतिक हालात के बारे में चर्चा की।’’

उन्होंने यह भी कहा कि सोनिया के साथ मुलाकात के दौरान साझा न्यूनतम कार्यक्रम को लेकर भी बात नहीं की गई। पवार ने कहा कि हम समाजवादी पार्टी और स्वाभिमानी शेतकारी संगठन जैसे उन सभी पार्टियों के साथ चर्चा करना चाहते हैं जिन्होंने हमारे साथ चुनाव लड़ा था। इस मुलाकात के बाद कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ‘‘शरद पवार ने आज कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात की और महाराष्ट्र के राजनीतिक हालात के बारे में उन्हें अवगत कराया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह निर्णय लिया गया कि अगले एक या दो दिनों में राकांपा और कांग्रेस के प्रतिनिधि दिल्ली में फिर मिलेंगे जिसमें आगे के कदमों के बारे में चर्चा होगी।’’ सूत्रों का कहना है कि सोनिया और पवार की इस मुलाकात के बाद महाराष्ट्र में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन की सरकार के गठन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा हुई।

अगले कुछ दिनों में सरकार गठन की तस्वीर पूरी तरह साफ हो सकती है। सोनिया और पवार की मुलाकात से पहले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और राज्य कांग्रेस के कई अन्य नेताओं ने पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ चर्चा की।

कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि पार्टी के केरल से ताल्लुक रखने वाले नेता महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ जाने के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि उनके मुताबिक इससे दक्षिण भारत के इस महत्वपूर्ण राज्य में कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। उधर, शिवसेना लगातार इस बात पर जोर दे रही है कि राज्य में अगला मुख्यमंत्री उसका ही होगा।

उसने यह दावा भी किया कि कि तीनों पार्टियां साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर सहमत हो गई हैं गौरतलब है कि गत 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से नयी सरकार को गठन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। भाजपा-शिवसेना को पूर्ण बहुमत मिला था, लेकिन मुख्यमंत्री पद की शिवसेना की मांग को लेकर दोनों के रास्ते अलग हो गए। इसके बाद से शिवसेना, रांकापा और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की कवायद में जुटी हुई है। 

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