नई दिल्ली: लोकप्रिय कलाकार और कवि इंद्रजीत उर्फ इमरोज़ का शुक्रवार को 97 वर्ष की आयु में निधन हो गया और वह उम्र संबंधी समस्याओं से पीड़ित थे। इमरोज़ मशहूर लेखिका और कवयित्री अमृता प्रीतम के साथ अपने रिश्ते के बाद सुर्खियों में आए। दिलचस्प बात यह है कि वे करीब 40 साल तक साथ रहे लेकिन कभी शादी नहीं की।
दिन के लिए भी अपने सच्चे प्यार अमृता को नहीं भूले
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कवयित्री अमिया कुंवर ने इमरोज़ के निधन की खबर की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि इमरोज़ उम्र संबंधी समस्याओं से पीड़ित थे और अस्पताल में भर्ती थे। भले ही वह पाइप के माध्यम से भोजन कर रहे थे, फिर भी वह एक दिन के लिए भी अपने सच्चे प्यार अमृता को नहीं भूले।
कुँवर ने इंडियन एक्सप्रेस को यह भी बताया कि जब कोई अमृता के बारे में भूतकाल में बात करता था तो इमरोज़ को इससे नफरत होती थी। उन्होंने उन्हें वर्तमान काल में बुलाना पसंद किया और कहा, 'अमृता है, यहीं है।'
जानिए कौन थे इमरोज़?
प्रसिद्ध कवि का जन्म 26 जनवरी, 1926 को अविभाजित पंजाब के लायलपुर में हुआ था। उनके इंदरजीत से इमरोज़ बनने तक के सफर की कहानी बेहद दिलचस्प है और दर्शाती है कि सच्चा प्यार क्या होता है। इंद्रजीत 1996 में अमृता से जुड़े जब उन्होंने अपनी पत्रिका 'नागमणि' का प्रकाशन शुरू किया। उन्होंने उनके साथ चित्रकार के रूप में काम किया और वहीं से उनकी इंद्रजीत से इमरोज़ तक की कहानी शुरू हुई।
कुछ साल बाद अमृता बहुत बीमार रहने लगीं और बाद में साल 2005 में उनकी मौत हो गई। अमृता के आखिरी कुछ दिनों में इमरोज़ हमेशा उनके साथ थे। उनकी मृत्यु के बाद, उन्होंने अमृता को समर्पित कविताएँ लिखीं। सिर्फ कविताएं ही नहीं, उन्होंने चार काव्य पुस्तकें भी लिखीं, जिनमें 'जश्न जारी है', 'मनचाहा ही रिश्ता' और 'रंग तेरे मेरे' शामिल हैं।
अमृता उन्हें प्यार से बुलाती थीं 'जीत'
इमरोज़ ने उनके लिए एक किताब भी लिखी जिसका नाम है 'अमृता के लिए नज़म जारी है।' यह किताब साल 2008 में हिंदी पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित की गई थी। प्रेमी जोड़े लगभग 40 वर्षों तक एक साथ रहे लेकिन कभी शादी नहीं की। इमरोज़ और अमृता की प्रेम कहानी ऐसी मानी जाती है जिसे हमेशा याद रखा जाएगा।