नई दिल्लीः कोरोना वायरस महामारी से देश में अब तक 34 से 47 लाख लोगों की मौत हुई है। अमेरिकी रिसर्च में बड़ा खुलासा है।
भारत में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार कोरोना महामारी से अब तक चार लाख 18 हजार से ज्यादा भारतीयों की मौत हो चुकी है। लेकिन एक अमेरिकी रिपोर्ट का दावा किया गया है कि भारत में कोरोना से सरकार के आंकड़ों से 10 गुना से ज्यादा मौत की संभावना है।
रिपोर्ट को भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम, अमेरिकी थिंक-टैंक सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट के जस्टिन सैंडफुर और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अभिषेक आनंद द्वारा तैयार की गयी है। रिपोर्ट के लेखकों ने कहा, ‘‘... लेकिन सभी अनुमान बताते हैं कि महामारी से मरने वालों की संख्या 400,000 की आधिकारिक संख्या से काफी अधिक हो सकती है।’’
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कोरोना से 34 से 47 लाख लोगों की मौत हुई है। वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं का कहना है कि भारत सरकार के आंकड़े वास्तविक संख्या से कम है। अप्रैल और मई में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर भारत में चरम पर थी, तब देशभर के अस्पतालों में जगह नहीं थी, मरीजों को वापस भेजा जा रहा था, बाद में उन मरीजों की घर पर मौत हो गई।
सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट के शोधकर्ताओं ने जनवरी 2020 से जून 2021 तक 34 लाख से 47 लाख के बीच मौत का अनुमान जताया है। रिपोर्ट में कहा गया, असल में मौत लाखों में होने की संभावना है, न कि सैकड़ों में। यह विभाजन और स्वतंत्रता के बाद से देश की सबसे बड़ी मानव त्रासदी बन गई है।
वहीं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन ड्रग एब्यूज (एनआईडीए) और नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ (एनआईएच) के अध्ययन में कहा गया है कि भारत में 25,500 बच्चों ने कोविड के कारण अपनी मां को खो दिया जबकि 90,751 बच्चों ने अपने पिता को और 12 बच्चों ने माता-पिता दोनों को खो दिया।
कोरोना महामारी के पहले 14 महीनों के दौरान भारत के एक लाख 19 हजार बच्चों समेत 21 देशों में 15 लाख से अधिक बच्चों ने संक्रमण के कारण अपने माता-पिता को खो दिया जो उनकी देखभाल करते थे.इस अध्ययन के आंकलन के अनुसार, दुनियाभर में 11 लाख 34 हजार बच्चों ने अपने माता-पिता या संरक्षक दादा-दादी/नाना-नानी को कोविड-19 के कारण खो दिया।
इनमें से 10,42,000 बच्चों ने अपनी मां, पिता या दोनों को खो दिया. ज्यादातर बच्चों ने माता-पिता में से किसी एक को गंवाया है.वहीं बीते दिन मोदी सरकार ने कहा कि देश में ऑक्सीजन की कमी से किसी की भी मौत नहीं हुई. संसद सत्र के दौरान कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने सरकार से पूछा था कि क्या यह सच है कि Covid-19 की दूसरी लहर में कई सारे कोरोना मरीज सड़क पर और अस्पताल में इसलिए मर गए क्योंकि ऑक्सीजन की किल्लत थी?
इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा कि 'स्वास्थ्य राज्य का विषय है. सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को कोरोना के दौरान हुई मौतों के बारे में सूचित करने के लिए गाइडलाइंस दिये गये थे. किसा भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की रिपोर्ट में यह नहीं कहा गया है कि किसी की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है।'
मोदी सरकार के इस बयान के बाद विपक्ष के नेताओं से लेकर आम लोगों में भी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. इस मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और कहा, सिर्फ़ ऑक्सीजन की ही कमी नहीं थी।
संवेदनशीलता व सत्य की भारी कमी- तब भी थी, आज भी है. वहीं एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, अगर देश में किसी शख्स की ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं हुई है तो हम भारत के प्रधानमंत्री का नाम नहीं जानते।
वहीं पत्रकार अमन चोपड़ा ने ट्वीट कर कहा, Oxygen की कमी से मौत से संबंधित में कोई जानकारी राज्यों से केंद्र को नहीं मिली है' इसका ये मतलब कैसे हुआ कि केंद्र ने कहा 'ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं' बल्कि सवाल तो राज्यों से - ऑक्सीजन की कमी से मौत पर राज्यों का यू टर्न क्यों ?- तो क्या ऑक्सीजन की कमी नहीं थी ?
वहीं डॉ चरणजीत सिंह नाम के एक यूजर ने कहा, भारत की सरकारें चाहे वह केन्द्र की हों या राज्य की खुलेआम झूठ बोल रही हैं कि oxygen की कमी के कारण कोई मौत नही हुई "धन्य है सरकार " प्रधानमंत्री जी जी ने झूंठ बोलने का जो सिल सिला शुरू किया था वह जारी है।जनमानस को अपने कानों और आंखों का इलाज कराना चाहिए।