पटनाः बिहार में लगातार हो रही बारिश और नेपाल से छोड़े गए पानी के कारण गंगा नदी रौद्र रूप में आ गई है। राज्य में गंगा, कोसी, घाघरा समेत आधा दर्जन नदियों में उफान है। बिहार में बाढ़ जैसे हालात कई इलाकों में बन गये हैं। पटना के गांधी घाट समेत हाथीदह में नदी खतरे के निशान को पार कर चुकी है। भागलपुर, बक्सर में भी गंगा का जलस्तर खतरे के स्तर के करीब है। राज्य के कई जिलों में बाढ़ के हालात बन गए हैं। पटना के भी कई इलाकों में पानी घुस गया है। जल संसाधन विभाग ने हाई अलर्ट जारी किया है और बांधों की 24 घंटे निगरानी शुरू कर दी है।
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हैं। जबकि जिला प्रशासन ने राहत और बचाव के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। पटना के दीघा घाट में गंगा का जलस्तर शनिवार की सुबह खतरे के स्तर के बेहद करीब जा चुका था। गांधी घाट पर खतरे के स्तर 48.60 को पार करके गंगा 48.95 सेमी पर बह रही थी।
हाथीदह में भी खतरे के स्तर को पार कर पानी बह रहा है। पटना और अरवल में पुनपुन भी खतरे के स्तर के पार है। कुशीनगर में गंडक नदी खतरे के निशान के करीब है। इसमें कमी की संभावना नही है। खगड़िया में बूढी गंडक नदी खतरे के निशान से 72 सेमी नीचे बह रही थी। इसके बढ़ोतरी की आज संभावना है।
मुजफ्फरपुर में बागमती और सुपौल में कोसी नदी में भी उफान है। गयाजी के भुइंया बिगहा के दर्जनों घरों में पानी घुस गया है। लोग बेहाल हैं। समस्तीपुर में मोहनपुर प्रखंड से गुजरने वाल गंगा नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी जारी है। निचले इलाकों में खतरा अब बढ़ गया है। गंगा यहां खतरे के निशान के बेहद करीब है। पानी अब निचले इलाकों में फैल गया है।
इसबीच गंगा के जलस्तर में आई तेजी के बीच शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार निरीक्षण को पहुंचे। उन्होंने जेपी गंगा पथ से गंगा के बढ़ते जलस्तर का मुआयना किया। आपदा की स्थिति में निपटने के लिए किये गए एहतियाती इंतजामों की जानकारी ली। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सबसे पहले मितन घाट पहुंचे, जहां उन्होंने गंगा के जलस्तर का जायजा लिया।
इसके बाद वे अचानक गांधी घाट भी पहुंचे और वहां भी स्थिति का निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री के साथ कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे, जिन्होंने उन्हें गंगा के जलस्तर और संभावित बाढ़ की स्थिति से अवगत कराया। निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को पूरी तरह से सतर्क रहने का निर्देश दिया।
उन्होंने कहा कि गंगा का जलस्तर लगातार हर दो घंटे पर एक सेंटीमीटर बढ़ रहा है, जो चिंताजनक है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से लगातार स्थिति पर नज़र रखने और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया। जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार पटना के प्रमुख घाटों पर गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है या उसके करीब है।
गांधी घाट पर जलस्तर 48.76 मीटर (खतरे का निशान 48.60 मीटर), दीघा घाट पर 50.13 मीटर (खतरे का निशान 50.45 मीटर), मनेर में 51.73 मीटर (खतरे का निशान 52 मीटर) और हथिदह में 41.54 मीटर (खतरे का निशान 41.76 मीटर) दर्ज किया गया। देवनानाला में जलस्तर 165.50 फुट है जो खतरे के निशान 167 फुट से थोड़ा नीचे है।
पिछले दो दिनों में जलस्तर में ढाई फुट की वृद्धि हुई है। पटना में बाढ़ से निपटने के लिए 119 ऐसे स्थलों का चयन किया गया है जो ऊंचे स्थानों पर है। यहां से बाढ़ आने की स्थिति में राहत शिविर, सामुदायिक रसोई केंद्र या अन्य आपदा राहत सेवाएं चलाई जाएगी। वहीं बाढ में घिरे लोगों को बचाने के लिए 245 नाविकों की टीम तैयार रखी गई है।
साथ ही नाव, गोताखोर को एहतियाती इंतजामों के तहत रखा गया है। गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर पर नजर बनाए रखने और बाढ़ से बचाव को लेकर पटना जिला आपदा नियंत्रण केंद्र को सक्रिए रखा गया है। इस बीच मौसम विभाग ने रविवार को उत्तर और पूर्वी बिहार में भारी बारिश और वज्रपात की चेतावनी दी है।
सीमांचल और कोसी क्षेत्र में भारी बारिश की संभावना है, जिससे गंगा, कोसी और गंडक नदियों का जलस्तर और बढ़ सकता है। ऑरेंज अलर्ट वाले जिलों (पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सीवान, सारण, खगड़िया, भागलपुर, मुंगेर, जमुई, बांका) में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश हैं।
प्रशासन ने लोगों से नदियों के किनारे न जाने, वज्रपात के दौरान खुले स्थानों से बचने और स्थानीय प्रशासन के संपर्क में रहने की अपील की है। गंगा के जलस्तर में इस बेतहाशा वृद्धि के पीछे लगातार हो रही बारिश और ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों से पानी का बहाव मुख्य कारण बताया जा रहा है।