पटना: जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर बड़े और गंभीर आरोप लगाए हैं। शुक्रवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल से साल 2019 में 25 लाख रुपये घूस ली थी। पांडेय ने इन रुपयों का इस्तेमाल कर दिल्ली के द्वारका में पत्नी के नाम पर फ्लैट खरीदा था। इसके बदले में जायसवाल के किशनगंज स्थित मेडिकल कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया। प्रशांत किशोर का दावा है कि साल 2020 में, जब लोग महामारी से परेशान थे, तब मंगल पांडेय ने दिल्ली के द्वारका इलाके में 86 लाख रुपये का एक फ्लैट खरीदा। यह खरीदारी दिलीप जायसवाल की मदद से हुई।
पीके ने कहा कि इस सौदे के लिए पांडेय के पिता अवधेश पांडेय ने 30 लाख रुपये, पांडेय की पत्नी उर्मिला के खाते में ट्रांसफर किए। यह रकम फ्लैट खरीदने में इस्तेमाल हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि पांडेय ने 2020 के हलफनामे में इस खरीद से जुड़े किसी कर्ज का जिक्र नहीं किया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टरों, मेडिकल सप्लायर्स से पैसे वसूले और जायसवाल, जो एक मेडिकल कॉलेज के मालिक है। उनके मुताबिक, इस लेनदेन के बाद जायसवाल के मेडिकल कॉलेज को “डीम्ड यूनिवर्सिटी” का दर्जा दिलाया गया।
इसके अलावा, प्रशांत किशोर ने बिहार में एंबुलेंस खरीद में भी गड़बड़ी का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि फरवरी 2022 में बिहार स्वास्थ्य विभाग ने 1,250 एंबुलेंस खरीदने का टेंडर निकाला, जिसकी कीमत करीब 200 करोड़ रुपये थी। लेकिन इसके बजाय केवल 466 टाइप-सी एंबुलेंस खरीदी गईं और वह भी ज्यादा दाम में।
पीके ने कहा कि एक एंबुलेंस की कीमत 19.58 लाख रुपये थी, लेकिन इस साल 22 अप्रैल को इन्हें 28.47 लाख रुपये में खरीदा गया। टाटा मोटर्स को तकनीकी वजह बताकर टेंडर से बाहर कर दिया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब अन्य राज्यों में ‘फोर्स मोटर्स’ की एंबुलेंस 19 लाख में मिल रही है, तो बिहार सरकार ने 28 लाख रुपये क्यों चुकाए। उन्होंने इस पूरे मामले की जांच की मांग की।
प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि भाजपा के लोग अपने नेताओं से भी रिश्वत ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिलीप जायसवाल के किशनगंज में स्थित एमजीएम मेडिकल कॉलेज के पास 2019 तक डिग्री देने का अधिकार नहीं था। तब तक मधेपुरा की यूनिवर्सिटी की डिग्री दी जाती थी। ऐसा लगता है कि यह पैसा (25 लाख) लेने के बाद 2019 में कथित घूस की एवज में जायसवाल के मेडिकल कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी बना दिया गया, जो अब खुद डिग्री देने लगा है।