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बिहार: चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या हुई 144, 68 बच्चे ICU में, बीमार बच्चों की संख्या 500 के पार

By एस पी सिन्हा | Published: June 19, 2019 4:14 PM

बिहार एक्यूट इनसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी चमकी बुखार के प्रकोप से जूझ ही रहा है कि अब डायरिया के रूप में एक नई मुसीबत लोगों के सामने खड़ी हो गई है. नालंदा जिले के राजगीर प्रखंड के जत्ती भगवानपुर गांव में डायरिया के चलते 85 से अधिक लोग बीमार हो गए हैं.

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ठळक मुद्देचमकी बुखार से अब तक 144 बच्‍चों की मौत हो चुकी है।अस्पताल में आ रहे बीमार बच्चों का सिलसिला थम नहीं रहा है।

बिहार में चमकी बुखार (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानि एईएस) से अब तक हुई 144 बच्‍चों की मौत हो चुकी है. इतनी भारी संख्या में बच्चों की मौत के कारण हाहाकार मचा हुआ है. अकेले मुजफ्फरपुर के दो अस्पतालों में कुल 114 बच्चों की मौत हुई, वहीं 29 मौतें राज्य के अन्य जिलों में हुईं. बुधवार (19 जून) की सुबह से ही मुजफ्फरपुर में बच्चों के अस्पताल आने का सिलसिला जारी है और 25 बच्चे भर्ती किए गए हैं. 

बीमार बच्चों की बात करें तो ये संख्या 500 पार हो गई है. एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल में अब भी 183 बच्चों का इलाज चल रहा है. राज्य और केंद्र के आनन-फानन में शुरू किए गए प्रयासों के बावजूद इस बीमारी ने बच्चों को अपना ग्रास बना लिया है. बीमारी क्या है यह किसी को पता नहीं है. कभी यह एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) तो कभी ये चमकी बीमारी के नाम से जाना जाता है लेकिन अभी तक इस पर कोई एक राय नहीं बन पाई है. 

हालांकि इस बीच एक बात जरूर हुई है कि मुजफ्फरपुर की प्रसिद्ध शाही लीची को सबने टारगेट किया है. खास तौर पर शासन-सत्ता के लोग लीची को इस बीमारी की वजह बता रहे हैं. बीते दिनों जब केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री मुजफ्फरपुर के दौरे पर थे तो उन्होंने इसकी वजह लीची को बताई थी. हालांकि, मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ. शैलेश प्रसाद ने बताया था कि मंगलवार देर शाम तक एईएस (चमकी बुखार) से मरने वाले बच्चों की संख्या 109 हो गई है, जिनमें से श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) में 90 बच्चों और केजरीवाल अस्पताल में 19 बच्चों की मौत हुई है. 

वहीं, विशेषज्ञों और जानकारों की मानें तो यह शासन-सत्ता की नाकामी छिपाने का महज बहाना है क्योंकि लीची खाने से बीमारी होने का कोई उदाहरण सामने नहीं आया है. खास तौर पर जिन बच्चों की मौत हुई है, उनमें कोई वायरस नहीं पाया गया है बल्कि शुगर और सोडियम की कमी पाई गई है. मुजफ्फरपुर एसकेएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ और हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ गोपाल शंकर सहनी के अनुसार इस बीमारी का कारण लीची नहीं, बल्कि हीट और ह्यूमिडिटी बड़ा कारण है. इलाके में गर्मी जब 40 डिग्री के पार होती है और ह्यूमिडिटी 60 पार होती है और यह स्थिति कई दिनों तक लगातार बनी रहती है तो बच्चे बीमार होने लगते हैं.

यहां बता दें कि मुजफ्फरपुर में 114 बच्चों की मौत हुई है, वहीं, हाजीपुर में अबतक 11 बच्चों की मौत, समस्तीपुर में अबतक 5 बच्चों की मौत, मोतिहारी में अबतक 7 बच्चों की मौत, पटना के पीएमसीएच में 1 बच्चे की मौत है. जबकि शिवहर में एईएस से 2 बच्चों की मौत, बेगूसराय में एक बच्चे की मौत, भोजपुर में एक मासूम की मौत, सीवान में एक बच्चे की मौत, बेतिया में एक बच्चे की हुई मौत हुई है.

इस बीच, इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर जिले के एक अस्पताल का दौरा किया और इस दौरान उन्हें नाराज लोगों द्वारा की गई नारेबाजी का सामना करना पड़ा. इस दौरे के बाद बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा था कि मुख्यमंत्री ने एसकेएमसीएच के हर बेड पर जाकर जानकारी ली. अस्पताल में डॉक्टरों की कमी नहीं है, बावजूद इसके पटना के पीएमसीएच और दरभंगा के डीएमसीएच से चिकित्सक भेजे जा रहे हैं. शाम तक ही आठ और डॉक्टर अस्पताल पहुंच जाएंगे. मुख्य सचिव ने यह भी बताया था कि एसकेएमसीएच को 2500 बिस्तरों वाला अस्पताल बनाया जाएगा. इसके तहत 1500 बेड की व्यवस्था अगले वर्ष तक ही कर ली जाएगी.वहीं, बिहार एक्यूट इनसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी चमकी बुखार के प्रकोप से जूझ ही रहा है कि अब डायरिया के रूप में एक नई मुसीबत लोगों के सामने खड़ी हो गई है. नालंदा जिले के राजगीर प्रखंड के जत्ती भगवानपुर गांव में डायरिया के चलते 85 से अधिक लोग बीमार हो गए हैं. डायरिया के चपेट में बच्चे, महिलाएं और पुरुष सभी शामिल हैं. डायरिया पीड़ित लोगों को इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

वहीं, बिहार में चमकी बुखार और लू लगने से मौत की खबरों के बीच राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव के राजनीतिक परिदृश्य से गायब होने को लेकर सूबे में सियासी पारा चढ़ने लगा है. इन मौतों के कारण ना सिर्फ नीतीश सरकार, बल्कि विपक्ष भी घिरता जा रहा है. हर कोई पूछ रहा है कि इस मुद्दे पर राजद नेता तेजस्वी यादव चुप क्यों हैं और कहां हैं? इसी बीच राजद के वरिष्‍ठ नेता डा. रघुवंश प्रसाद सिंह से पत्रकारों ने जब यह पूछा कि क्या इंसेफेलाइटिस से हो रही मौतों पर सरकार के साथ विपक्ष की भी संवेदना मर गई है. अभी तक विपक्ष के नेता का बयान क्यों नहीं आया? तो उन्होंने कहा कि अब मुझे पता नहीं है कि वह (तेजस्वी) यहां हैं या नहीं, लेकिन हम अनुमान लगाते हैं कि वर्ल्ड कप चल रहा है तो वह वहीं गए होंगे. हम अनुमान लगाते हैं. हालांकि कोई जानकारी नहीं है.'वहीं, जानकारों का मानना है कि बिहार का विपक्ष इन मुद्दों को सरकार की नाकामी के तौर पेश करने में खुद ही नाकाम है. ऐसी भयावह परिस्थितियों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए सरकार से सवाल पूछे जाएंगे, लेकिन ये सवाल उसी विपक्ष को पूछने थे जो इन दिनों एकदम खामोश सा हो गया है. आज सभी जगहों पर लोग यही सवाल पूछ रहे हैं कि इस समय बिहार की राजनीतिक विपक्ष के चेहरे और बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव कहां हैं?-यहां बता दें कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद लालू यादव के छोटे बेटे और नेता प्रतिपक्ष दल तेजस्वी यादव 28 मई को पार्टी की समीक्षा बैठक में शिरकत करने के बाद से लगातार 'गायब' हैं. तेजस्वी कहां हैं? यह किसी को भी पता नहीं है. 11 जून को लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन के मौके पर दिल्ली में पार्टी दफ्तर में बर्थडे केक काटा गया. लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती वहां पहुंचीं और उन्होंने केक काटा, लेकिन लालू की राजनीतिक विरासत संभाल रहे तेजस्वी यादव नहीं पहुंचे. हालांकि लालू यादव के जन्मदिन पर तेजस्वी ने एक ट्वीट जरूर किया, जिसमें उन्होंने पिता लालू यादव को बधाई दी. लेकिन सवाल ये है कि पूरे चुनाव के दौरान सबसे मुखर रहने वाले, नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोसने वाले, बिहार के भविष्य के नेता कहे जाने वाले, तेज-तर्रार तेजस्वी अचानक गुम क्यों हो गए हैं?

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बिहार में लू और चमकी बुखार का कहर जारी है, मगर अब तक इस मामले पर तेजस्वी यादव का न तो कोई ट्वीट आया है और न ही उन्होंने मीडिया से बातचीत ही की है. जिसको लेकर सोशल मीडिया पर भी लगातार तेजस्वी पर सवाल उठाये जा रहे है और बच्चों की मौत के मामले पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी जा रही है.

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