लाइव न्यूज़ :

16 साल की उम्र वाले सेक्स को लेकर फैसला करने में सक्षम, मेघालय हाईकोर्ट का फैसला

By रुस्तम राणा | Published: June 25, 2023 4:44 PM

पीठ ने कहा, यह न्यायालय उस आयु वर्ग (लगभग 16 वर्ष की आयु के नाबालिग का जिक्र) के एक किशोर/किशोरी के शारीरिक और मानसिक विकास को देखते हुए, यह तर्कसंगत मानेगा कि ऐसा व्यक्ति अपने संबंध में सचेत निर्णय लेने में सक्षम है।

Open in App
ठळक मुद्देHC ने कहा, 16 वर्षीय लड़की यौन संबंध के संबंध में अपने स्वयं के सचेत निर्णय लेने में सक्षम हैकोर्ट ने नाबालिग पर यौन उत्पीड़न से संबंधित FIR को खारिज कर दियान्यायमूर्ति डब्लू डिएंगदोह की पीठ एक याचिका पर कर रही थी सुनवाई

Meghalaya High Court: मेघालय हाईकोर्ट ने एक नाबालिग पर यौन उत्पीड़न से संबंधित एफआईआर को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि 16 वर्षीय लड़की यौन संबंध के संबंध में अपने स्वयं के सचेत निर्णय लेने में सक्षम है। न्यायमूर्ति डब्लू डिएंगदोह की पीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पोक्सो) के तहत दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी। 

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, याचिका में दावा किया गया है कि यह यौन उत्पीड़न का कार्य नहीं था, बल्कि "विशुद्ध रूप से सहमति" था क्योंकि याचिकाकर्ता और कथित पीड़िता प्यार में थे। पीठ ने कहा, “यह न्यायालय उस आयु वर्ग (लगभग 16 वर्ष की आयु के नाबालिग का जिक्र) के एक किशोर/किशोरी के शारीरिक और मानसिक विकास को देखते हुए, यह तर्कसंगत मानेगा कि ऐसा व्यक्ति अपने संबंध में सचेत निर्णय लेने में सक्षम है।"

लाइव लॉ ने बताया कि याचिकाकर्ता ने कई घरों में काम किया और इसी तरह उसकी कथित पीड़िता से पहचान हुई। यह भी बताया गया है कि यह याचिकाकर्ता के चाचा का घर था जहां दोनों यौन संबंध बनाते थे। अगले दिन, 16 वर्षीय की मां ने याचिकाकर्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 363 और पोक्सो एक्ट 2012 की धारा 3 और 4 के तहत प्राथमिकी दर्ज की।

याचिकाकर्ता ने अदालत में दावा किया कि यह यौन उत्पीड़न का कृत्य नहीं था क्योंकि नाबालिग लड़की ने अपने बयान और गवाही में खुलासा किया था कि वह याचिकाकर्ता की प्रेमिका थी और साथ ही पुष्टि की थी कि यौन संबंध उसकी सहमति से हुआ था और कोई जबरदस्ती नहीं की गई थी। बयानों और याचिकाकर्ता की दलीलों की जांच के बाद अदालत ने कहा कि नाबालिग के बयान याचिकाकर्ता के पक्ष में थे। अदालत ने याचिकाकर्ता के खिलाफ मामले को रद्द करते हुए कहा, "प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रतीत होता है कि इसमें कोई आपराधिक मामला शामिल नहीं है।"

टॅग्स :मेघालयपोक्सोकोर्टहाई कोर्ट
Open in App

संबंधित खबरें

भारतसुप्रीम कोर्ट से ईडी को लगा तगड़ा झटका, कोर्ट ने कहा- 'विशेष अदालत के संज्ञान लेने के बाद एजेंसी नहीं कर सकती है गिरफ्तारी'

क्राइम अलर्टIndore: 'दादाजी ने मेरे कपड़े उतार दिए और मुझे गलत तरीके से छूने लगे', 8 साल की मासूम ने मां को बताई पूरी कहानी

भारतAllahabad High Court: शादी में मिले उपहारों की लिस्ट क्यों है जरूरी, हाईकोर्ट ने बताया

भारतDelhi High Court: बेटी की आबरू लूटने वाला पिता दोषी करार, कोर्ट ने दिया फैसला

भारतBrij Bhushan Singh: डब्ल्यूएफआई के पूर्व प्रमुख बृजभूषण सिंह के खिलाफ आरोप तय, पांच महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का मामला, ये धाराएं लगीं

भारत अधिक खबरें

भारतWatch: रश्मिका मंदाना ने 'अटल सेतु' पर बनाया वीडियो, तारीफ सुन गदगद हुए पीएम मोदी, सराहना करते हुए शेयर किया वीडियो

भारतLok Sabha Elections 2024: ''नरेंद्र मोदी दक्षिण और उत्तर भारतीयों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं, जहर उगल रहे हैं'', सिद्धारमैया का प्रधानमंत्री पर हमला

भारतममता बनर्जी पर की गई टिप्पणी को लेकर बुरे फंसे भाजपा उम्मीदवार अभिजीत गंगोपाध्याय, TMC ने किया चुनाव आयोग का रुख

भारतLok Sabha Elections 2024: "केजरीवाल का जेल में दिमाग खत्म हो गया है, उन्होंने उस कांग्रेस को गले लगाया, जिसका अन्ना हजारे ने विरोध किया था'', योगी आदित्यनाथ ने कहा

भारतLok Sabha Elections 2024: "राहुल गांधी संविधान की नहीं कांग्रेस की चिंता करें, जिसे उन्होंने बर्बाद कर दिया है", आचार्य प्रमोद कृष्णम का कांग्रेस नेता पर हमला