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Benefits Of Jatamansi: 'जटामांसी एक, गुण अनेक', दिलाए सिरदर्द से छुटकारा, करे ब्लड प्रेशर को कंट्रोल, जानिए इसके आयुर्वेदिक लाभ

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 18, 2024 6:25 AM

आयुर्वेद में  हजारों सालों से जटामांसी का प्रयोग प्रचलित जड़ी बूटियों में किया जाता है। जटामांसी, जिसे नारदोस्टैचिस, बालछड़ या स्पाइक्नाड जैसे नामों से जाना जाता है।

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ठळक मुद्देआयुर्वेद में  हजारों सालों से जटामांसी का प्रयोग प्रचलित जड़ी बूटियों में किया जाता हैजटामांसी को नारदोस्टैचिस, बालछड़ या स्पाइक्नाड आदि नामों से जाना जाता हैजटामांसी कई बीमारियों मसलन दिल की बीमारी, रक्तचाप आदि में भी रामबाण का काम करती है

Benefits Of Jatamansi: आयुर्वेद में  हजारों सालों से जटामांसी का प्रयोग प्रचलित जड़ी बूटियों में किया जाता है। जटामांसी, जिसे नारदोस्टैचिस, बालछड़ या स्पाइक्नाड जैसे नामों से जाना जाता है। सिर दर्द से जुड़ी समस्याओं में फौरन राहत देता है। इसके अलावा पहाड़ों में पैदा होने वाली जटामांसी के चूर्ण का प्रयोग आयुर्वेद के अन्य दवाओं में भी किया जाता है। जटामांसी कई बीमारियों मसलन दिल की बीमारी, रक्तचाप आदि में भी रामबाण का काम करती है।

जटामांसी बारहमासी जड़ी बूटी है, जो वेलेरियनसी परिवार से संबंधित है। यह भारत, चीन, नेपाल और भूटान की नम, खड़ी, चट्टानी, अबाधित घास वाली ढलानों पर उगती है। ये त्वचा को निखारने, उसकी प्राकृतिक चमक को बढ़ाने के अतिरिक्त बालों को लंबे समय तक काला रखने में मदद करती है।

जटामांसी के फायदे

हाई ब्लड प्रेशर को कम करती है

जटामांसी में कई एंटी-हाइपरटेंसिव गुण पाए जाते हैं, जो बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करती है। नियमित रूप से उचित एक्सरसाइज के साथ जटामांसी का सेवन करना ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में काफी मदद मिलती है।

सिर दर्द दूर करती है

सिर से संबंधित किसी भी समस्या को जटामांसी के माध्यम से दूर किया जा सकता है। कान का दर्द, आंखों का दर्द में इस जड़ी बूटी से भरपूर लाभ मिलता है। इसके लिए जटामांसी के साथ सोंठ, कूठ, देवदारू आदि को समान मात्रा में देसी घी के साथ मिलाकर सिर पर लगाना चाहिए।

पेट की परेशानियों में असरदार

जटामांसी पेट दर्द, गैस, कब्ज, अल्सर, बवासीर जैसी हानिकारक बीमारियां को दूर करने में मदद करती है। इन तमाम पेट की बीमारियों से बचने के लिए जटामांसी के चूर्ण का रोजाना सेवन करना चाहिए। इसके लिए जटामांसी की जड़ के चूर्ण में बराबर मात्रा में सौंठ और सौंफ का मिश्रण मिलाकर इसका सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। इससे आप पेट की बीमारियों से अपना बचाव कर सकते हैं।

अनिद्रा दूर करती है

नींद की कमी से फिजिकल और मेंटल हेल्थ दोनों प्रभावित होते हैं। यह याददाश्त को भी नुकसान पहुंचा सकता है। जटामांसी को अन्य जड़ी-बूटियों के साथ मिला कर लिया जाता है तो यह नींद न आने की बीमारी को दूर करने में मदद कर सकता है। यह नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है। इनसोमनिया की समस्या को कम करती है।

मेमोरी पॉवर बढ़ाती है

तनावग्रस्त होने पर याददाश्त प्रभावित होने लगते हैं। ऐसे में जटामांसी एक ऐसी शक्तिशाली जड़ी बूटी है, जो याददाश्त बढ़ाती है। यह संज्ञानात्मक कार्य में सुधार करती है। बुजुर्गों में मनोभ्रंश या भूलने की बीमारी के इलाज में भी जटामांसी प्रभावी साबित हुई है। जटामांसी में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो स्मृति को संरक्षित करने और तंत्रिका के डैमेज होने को रोकने में मदद करती है।

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