लखनऊः अमेरिका की ओर से भारतीय सामान पर 50 प्रतिशत का टैरिफ लागू होने से उत्तर प्रदेश के नौ जिलों में हजारों उद्योगों पर बंदी का खतरा मंडराने लगा है. इन उद्योगों के बंद होने की स्थिति में 20 लाख से अधिक लोगों की नौकरी जा खत्म होगी और सूबे से हर साल होने वाले करीब 32 हजार कारों रुपए के निर्यात पर भी असर पड़ेगा. यही वजह है कि यूपी में टैक्स्टाइल, कार्पेट, लेदर, हैंडीक्राफ्ट, इंजीनियरिंग गुडस और ग्लास इंड्रस्टी जैसे कारोबार में लगे भदोही, मिर्जापुर, कानपुर, मुरादाबाद, अलीगढ़, आगरा, फिरोजाबाद, गाजियाबाद और नोएडा के कारोबारी और एक्सपोर्ट केंद्र और राज्य सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. इन कारोबारियों को योगी सरकार ने नई निर्यात नीति लाकर उनकी मदद करने का आश्वासन दिया है, लेकिन यह कारोबारी सरकार के इस वादे पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं.
यूपी के इन उद्योग पर संकट के बादल
इसकी कई वजह है. सबसे बड़ी वजह टैक्स्टाइल, कार्पेट, लेदर, हैंडीक्राफ्ट, इंजीनियरिंग गुडस और ग्लास इंड्रस्टी के करोड़ रुपए का उत्पाद बना हुआ या तो गोदाम में पड़ा हुआ है. इसके अलावा टेक्सटाइल, कार्पेट, लेदर, हैंडीक्राफ्ट, इंजीनियरिंग गुड्स और ग्लास इंड्रस्टी की फैक्ट्री आदि में उत्पाद भी बंद है या इसमें कमी कर दी गई.
कानपुर की लेदर इंड्रस्टी में मात्र पाँच प्रतिशत ही उत्पादन हो रहा है. इस इंड्रस्टी में कार्यरत लोगों का कहना है कि जो डिजाइन अमेरिका में पसंद किए जाते है, उन्हे रूस में पसंद नहीं किया जाता. ऐसे में हम अमेरिका का माल रूस में नहीं बेच सकते. यही हाल भदोही के कार्पेट का है.
पूर्वांचल निर्यातक संघ के (यूपिका) के निर्वतमान अध्यक्ष नवीन कपूर के अनुसार, बीते साल यूपी से अमेरिका को 35,545 करोड़ रुपए के उत्पादों का निर्यात किया गया था. इसके पहले वर्ष 2023-24 में 32,490 करोड रुपए के उत्पादों का निर्यात किया गया था. लेकिन अब ट्रंप प्रशासन की नीतियों के कारण इतना निर्यात कर पाना मुश्किल है.
सच कहे तो प्रदेश में निर्यात कारोबार से जुड़े लोगों पर अमेरिका के 50 फीसदी टैरिफ से निर्यात से जुड़े उद्योगों पर बंदी का संकट मंडराने लगा है. निर्यात में 40 से 50 फीसदी तक कमी आने की आशंका है और टैरिफ का सबसे ज्यादा असर लेदर, पीतल, कांच, टेक्सटाइल और साड़ी व कालीन उद्योग पर पड़ेगा. इन सेक्टरों में अधिकांश छोटी इकाइयां बंद हो जाएगी और लाखों लोगों की नौकरी खत्म होगी. इसलिए सरकार को तत्काल ही इस मामले में पहल करनी होगी.
सरकार करे पहल
कुछ यहीं राय सपा के भदोही से विधायक ज़ाहिद बेग की है. उनका कहना है कि यूपी से सालाना करीब 1.86 लाख करोड़ रुपए का निर्यात होता है. इसमें 35 हजार करोड़ रुपए से अधिक यानी 19 प्रतिशत का निर्यात अमेरिका को होता है. यूपी से अमेरिका को होने वाले 35 हजार करोड़ से अधिक के निर्यात में करीब भदोही से हर साल निर्यात होने वाली कालीन की हिस्सेदरी करीब 7000 करोड़ रुपए की है.
जाहिर है इसका अमेरिका के टैरिफ का असर भदोही के कालीन उद्योग पर पड रहा है. इसलिए सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. ज़ाहिद का कहना है कि किसी भी बीमारी का इलाज तत्काल ना किया जाए तो वह गंभीर रूप ले लेती है, इसलिए सरकार को निर्यात कारोबार में लगे लोगों के संकट को दूर करने के लिए आगे आकर उसका निदान करना चाहिए. कुछ यहीं राय फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन के यूपी प्रमुख आलोक श्रीवास्तव की भी है.
उनका कहना ही कि कालीन ही नहीं टैक्स्टाइल, हैंडीक्राफ्ट, इंजीनियरिंग गुडस, ग्लास इंड्रस्टी और जूलरी कारोबार पर भी इसका असर पड़ेगा. इससे कीमतें बढ़ने की संभावना है और ऐसा होने पर प्रतिस्पर्धा कठिन होगी. इसलिए जल्द से जल्द सरकार को इस मामले में पहल करनी होगी ताकि करीब 50 लाख श्रमिकों की रोजगार सुरक्षा बनी रहे है.