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खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में बढ़कर तीन महीने के उच्चस्तर 4.91 प्रतिशत पर

By भाषा | Updated: December 13, 2021 21:00 IST

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नयी दिल्ली, 13 अक्टूबर फल और खाद्य उत्पादों के महंगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर महीने में बढ़कर तीन महीने के उच्चस्तर 4.91 प्रतिशत पर पहुंच गयी। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।

हालांकि, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर का यह आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे में बना हुआ है। सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।

खुदरा मुद्रास्फीति इस साल अक्टूबर में 4.48 प्रतिशत और नवंबर, 2020 में 6.93 प्रतिशत थी। यह अगस्त में नरम होकर 5.3 प्रतिशत और सितंबर में 4.35 प्रतिशत रही।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, सब्जियों के मामले में सालाना आधार पर मुद्रास्फीति नकारात्मक रही। हालांकि, पिछले महीने की तुलना में इसमें तेजी है।

तेल और वसा के मामले में महंगाई दर इस साल नवंबर महीने में सालाना आधार पर 29.67 प्रतिशत रही। हालांकि, अक्टूबर की तुलना में यह कम है।

दूसरी तरफ, फलों के मामले में खुदरा महंगाई दर नवंबर महीने में पिछले महीने की तुलना में अधिक रही।

कुल मिलाकर इस साल नवंबर महीने में खाद्य मुद्रास्फीति 1.87 प्रतिशत रही जो इससे पिछले महीने में 0.85 प्रतिशत थी। हालांकि, यह नवंबर, 2020 के 9.5 प्रतिशत के मुकाबले यह उल्लेखनीय रूप से कम है।

केंद्र और राज्य सरकारों के पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क और मूल्य वर्धित कर (वैट) कम कम किये जाने से मासिक आधार पर ईंधन और प्रकाश खंड में मुद्रास्फीति कम रही।

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि टमाटर को छोड़कर खाने के सामान के दाम में सुधार हुआ है। इससे मुद्रास्फीति में नरमी आयी है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे आकलन के अनुसार, जब तक खुदरा मुद्रास्फीति दो से छह प्रतिशत के दायरे में रहती है, मौद्रिक नीति समिति और आरबीआई आर्थिक वृद्धि को प्राथमिकता देंगे और पुनरुद्धार को टिकाऊ बनाने के लिये नीतिगत समर्थन जारी रखेंगे।’’

इफको किसान संचार लिमिटेड के प्रमुख-(एग्रीटेक) एम नामगेल ने कहा कि आम आदमी के लिए संतोषजनक बात वार्षिक आधार पर सब्जियों की कीमतों में गिरावट है। यह काफी हद तक मौसमी कारणों और पेट्रोल तथा डीजल की कीमतों के घटने से परिवहन लागत कम होने वजह से है।

भारतीय रिजर्व बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा तय करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर पर गौर करता है। उसका मानना है कि मुद्रास्फीति का आंकड़ा चालू वित्त वर्ष की बची हुई अवधि में ऊंचा रहेगा क्योंकि तुलनात्मक आधार का प्रभाव अब प्रतिकूल हो गया है।

रिजर्व बैंक के अनुसार, मुख्य मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में उच्चस्तर पर रहेगी। उसके बाद इसमें नरमी आएगी।

आरबीआई ने 2021-22 में मुद्रास्फीति 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।

एनएसओ सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से चयनित 1,114 शहरी बाजारों और 1,181 गांवों से मूल्य के आंकड़े एकत्र करता है।

नवंबर, 2021 के दौरान, एनएसओ ने 99.7 प्रतिशत गांवों और 98.4 प्रतिशत शहरी बाजारों से कीमतें एकत्र कीं।

आंकड़ों के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर 4.29 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में 5.54 प्रतिशत रही।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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