ITR Refund 2025: आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करने का मुख्य उद्देश्य उन करदाताओं को रिफंड प्राप्त करना होता है, जिन्होंने अपनी आय पर निर्धारित कर से अधिक का भुगतान किया है। हालांकि, जहां अधिकांश मामलों में रिफंड कुछ हफ्तों के भीतर आ जाता है, वहीं कुछ ऐसे मामले भी होते हैं जहाँ यह प्रक्रिया 9 महीने या उससे भी अधिक समय तक खिंच सकती है। यह देरी न केवल करदाता के लिए परेशानी का सबब बनती है, बल्कि वित्तीय नियोजन को भी प्रभावित कर सकती है।
कानूनी तौर पर, आयकर विभाग को जटिल मामलों में मूल्यांकन वर्ष (Assessment Year) के समाप्त होने के बाद 9 महीने तक का समय मिल सकता है। इसका मतलब यह है कि अगर किसी ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए जुलाई 2025 तक ITR फाइल किया है, तो उसका रिफंड दिसंबर 2026 तक भी आ सकता है। यह लंबी अवधि कई कारणों से उत्पन्न होती है, जो अक्सर करदाता द्वारा की गई छोटी-मोटी गलतियों से लेकर आयकर विभाग की आंतरिक प्रक्रियाओं तक से संबंधित होती हैं।
रिफंड देरी की वजह
गलत बैंक विवरण: आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करते समय बैंक खाता संख्या, IFSC कोड या MICR कोड गलत होने पर रिफंड रुक सकता है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आपका बैंक खाता पहले से ही सत्यापित (pre-validated) हो और पैन कार्ड से जुड़ा हुआ हो।
गलत या अपूर्ण जानकारी: अगर आपके आईटीआर में कोई गलती है, जैसे गलत पैन नंबर या आधार नंबर, या फिर TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) का विवरण आपके फॉर्म 26AS से मेल नहीं खाता है, तो रिफंड की प्रक्रिया में देरी होगी।
ई-सत्यापन (e-verification) न करना: ITR फाइल करने के बाद उसका ई-सत्यापन करना अनिवार्य है। अगर आप ई-सत्यापन नहीं करते हैं, तो आपका रिटर्न प्रोसेस नहीं होगा और रिफंड जारी नहीं किया जाएगा।
दस्तावेजों का मिलान न होना: अगर आपके द्वारा दी गई जानकारी और आयकर विभाग के पास उपलब्ध जानकारी (जैसे AIS - Annual Information Statement या फॉर्म 26AS) में कोई अंतर है, तो विभाग आगे की जांच कर सकता है, जिससे रिफंड में देरी होती है।
अतिरिक्त दस्तावेजों की मांग: कुछ मामलों में, आयकर विभाग आपके दावे को सत्यापित करने के लिए अतिरिक्त दस्तावेज मांग सकता है। अगर आप समय पर उनका जवाब नहीं देते हैं, तो रिफंड में देरी होगी।
जांच: अगर आपका रिटर्न किसी कारण से जांच के लिए चुना जाता है, तो रिफंड की प्रक्रिया में काफी समय लग सकता है।
तकनीकी समस्याएं: ITR फाइलिंग की अंतिम तिथि के आसपास बड़ी संख्या में लोग रिटर्न फाइल करते हैं, जिससे सिस्टम पर लोड बढ़ जाता है और प्रोसेसिंग में देरी हो सकती है।
ई-सत्यापन (e-verification) न करना: ITR फाइल करने के बाद, इसका ई-सत्यापन करना अनिवार्य है। अगर यह प्रक्रिया पूरी नहीं की जाती है, तो विभाग इसे एक अधूरा रिटर्न मानता है और उस पर कोई कार्रवाई नहीं करता है।
रिफंड की स्थिति कैसे जांचें:
आप आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर जाकर अपने रिफंड की स्थिति की जांच कर सकते हैं।
आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल (https://www.incometax.gov.in/iec/foportal/) पर जाएं।
अपने पैन और पासवर्ड का उपयोग करके लॉग इन करें।
'ई-फाइल' > 'इनकम टैक्स रिटर्न' > 'व्यू फाइल रिटर्न' पर क्लिक करें।
यहां आप अपने रिटर्न और रिफंड की वर्तमान स्थिति देख सकते हैं।
कब मिलेगी राहत?
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में आयकर विभाग की सिस्टम क्षमता और स्वचालन में वृद्धि हुई है, जिससे सामान्य रिफंड पहले की तुलना में जल्दी मिल रहे हैं। लेकिन अगर रिटर्न में कोई गलती है या मामला जटिल है, तो प्रोसेसिंग में लंबा समय लग सकता है।