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आयकर रिटर्न दाखिल: आयकर विभाग ने फर्जी कर कटौती मामले में छापे मारे, HRA, EV और राजनीतिक चंदे के ज़रिए...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 14, 2025 21:53 IST

ITR Filing: पंजीकृत या अपंजीकृत राजनीतिक दलों को राजनीतिक चंदा देने, चिकित्सा बीमा, ट्यूशन फीस और कुछ प्रकार के ऋणों के भुगतान के बदले व्यक्तियों द्वारा दावा की गई।

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ठळक मुद्देITR Filing: फर्जी छूट का दावा करने में मदद करते हैं, की तलाशी ली जा रही है। ITR Filing: छापों के तहत जांच की जा रही है। ITR Filing: आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।

नई दिल्लीः आयकर विभाग ने सोमवार को रिटर्न (आईटीआर) में कटौती और छूट के फर्जी दावों को बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ कर चोरी की जांच के तहत देशभर में 150 स्थानों पर "बड़े पैमाने पर" सत्यापन अभियान चलाया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि विभाग ने विभिन्न राज्यों में कई कार्यालयों और घरों में तलाशी तथा सर्वेक्षण किया। यह कार्रवाई तीसरे पक्ष के स्रोतों, जमीनी स्तर की खुफिया जानकारी और उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता उपकरणों से प्राप्त वित्तीय आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद की गई। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान में कहा कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात, पंजाब और मध्य प्रदेश में विभाग द्वारा हाल ही में की गई तलाशी और जब्ती की कार्रवाई से इन निष्कर्षों की पुष्टि हुई, जहां विभिन्न समूहों और संस्थाओं द्वारा फर्जी दावों के सबूत पाए गए।

जांच में कुछ आईटीआर तैयार करने वालों और बिचौलियों द्वारा संचालित संगठित रैकेट का पर्दाफाश हुआ है, जो फर्जी कटौतियों और छूटों का दावा करते हुए रिटर्न दाखिल कर रहे थे। बोर्ड ने कहा, ‘‘इन धोखाधड़ीपूर्ण दाखिलों में लाभकारी प्रावधानों का दुरुपयोग शामिल है। यहां तक कि कुछ लोग अत्यधिक रिफंड का दावा करने के लिए झूठे टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) रिटर्न भी जमा करते हैं।’’

बोर्ड ने कहा कि विश्लेषण से धारा 10(13ए) (मकान किराया भत्ते के तहत छूट), 80जीजीसी (राजनीतिक दलों को दिया गया योगदान), 80ई (शिक्षा ऋण पर ब्याज पर कटौती), 80डी (चिकित्सा बीमा से संबंधित कटौती), 80ईई (गृह ऋण पर ब्याज पर कटौती), 80ईईबी (इलेक्ट्रिक वाहन के लिए कटौती), 80जी और 80जीजीए (धर्मार्थ या अनुसंधान संगठनों को दिया गया योगदान), और 80डीडीबी (कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज के लिए कटौती, आदि) के तहत उपलब्ध कटौतियों के "बड़े पैमाने पर दुरुपयोग" का पता चलता है।

आयकर विभाग के नीति-निर्माता निकाय ने कहा, ‘‘बिना किसी वैध औचित्य के छूट का दावा किया गया है।’’ इसने कहा, ‘‘इसमें बहुराष्ट्रीय कंपनियों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, सरकारी निकायों, शैक्षणिक संस्थानों और उद्यमियों के कर्मचारी शामिल हैं।’’ सीबीडीटी ने कहा कि यह पाया गया है कि करदाताओं को अक्सर कमीशन के बदले ‘‘बढ़ा-चढ़ाकर’’ रिफंड देने का वादा करके इन धोखाधड़ी वाली योजनाओं में फंसाया जाता है। बोर्ड ने कहा कि कर विभाग ‘‘पहले करदाताओं पर भरोसा करें’’ के मार्गदर्शक सिद्धांत का पालन करता है और इसने हमेशा स्वैच्छिक अनुपालन पर ज़ोर दिया है।

बोर्ड के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में इसने एसएमएस और ईमेल परामर्श भेजकर संदिग्ध करदाताओं को अपने रिटर्न संशोधित करने और सही कर का भुगतान करने के लिए प्रेरित करने के व्यापक प्रयास किए हैं। इसने कहा, ‘‘परिणामस्वरूप, पिछले चार महीनों में लगभग 40,000 करदाताओं ने अपने रिटर्न अपडेट किए हैं और स्वेच्छा से 1,045 करोड़ रुपये के झूठे दावे वापस लिये हैं।

हालांकि, कई लोग अब भी नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, संभवतः इन कर चोरी रैकेट के पीछे के मास्टरमाइंड के प्रभाव में।’’ सीबीडीटी ने कहा कि पूरी तरह से ‘ई-सक्षम’ कर प्रशासन प्रणाली के बावजूद, अप्रभावी संचार करदाताओं की सहायता करने में एक "महत्वपूर्ण" बाधा बना हुआ है, क्योंकि यह देखा गया है कि ऐसे रिटर्न तैयार करने वाले अक्सर केवल बल्क रिटर्न दाखिल करने के लिए अस्थायी ईमेल आईडी बनाते हैं, जिन्हें बाद में छोड़ दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप आधिकारिक नोटिस बिना पढ़े रह जाते हैं।

उसने कहा कि कर विभाग ‘‘अब लगातार धोखाधड़ी के दावों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए तैयार है, जिसमें आवश्यकतानुसार जुर्माना और अभियोजन के कदम शामिल हैं’’। इसने कहा, ‘‘डेढ़ सौ परिसरों में चल रहे सत्यापन अभियान से डिजिटल रिकॉर्ड सहित महत्वपूर्ण साक्ष्य मिलने की उम्मीद है,

जो इन योजनाओं के पीछे के नेटवर्क को खत्म करने और कानून के तहत जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद करेगा।’’ सीबीडीटी ने कहा कि करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे अपनी आय और संचार निर्देशांक का सही विवरण दाखिल करें और अनधिकृत एजेंटों या बिचौलियों की सलाह से प्रभावित न हों जो अनुचित रिफंड का वादा करते हैं।

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