नई दिल्लीः दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता पर केंद्र के आयोग ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में समय सीमा पूरी कर चुके वाहनों (ईओएल) में ईंधन भरने पर प्रतिबंध के कार्यान्वयन को एक नवंबर तक स्थगित करने का निर्णय लिया। सूत्रों ने यह जानकारी दी। ईओएल वाहन 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहन और 15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल वाहन हैं। पहले जारी निर्देशों के अनुसार, ऐसे वाहनों को एक जुलाई से दिल्ली में ईंधन नहीं दिया जाना था, चाहे वे किसी भी राज्य में पंजीकृत हों। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने पिछले सप्ताह वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से ऐसे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया था। उन्होंने इस कदम को “समय से पूर्व उठाया गया और संभावित रूप से प्रतिकूल” कदम बताते हुए “परिचालन और ढांचागत चुनौतियों” का हवाला दिया था।
सूत्रों ने बताया कि सीएक्यूएम ने एक समीक्षा बैठक में दिल्ली में निर्देशों के क्रियान्वयन पर रोक लगाने का निर्णय लिया। सूत्रों ने बताया कि दिल्ली में यह अभियान राष्ट्रीय राजधानी से सटे पांच उच्च वाहन घनत्व वाले जिलों गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और सोनीपत के साथ इस साल एक नवंबर से शुरू किया जाएगा।
दिल्ली के ईंधन स्टेशनों ने समय सीमा पूरी कर चुके वाहनों का पता लगाने के लिए स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) कैमरे लगाए हैं। कैमरा ईंधन स्टेशनों में प्रवेश करने वाले वाहनों की नंबर प्लेट को पढ़ता है और तुरंत केंद्रीय ‘वाहन’ डेटाबेस से जांच करता है, जो वाहन की आयु, ईंधन के प्रकार और पंजीकरण जैसे विवरण दिखाता है।
यदि पाया जाता है कि वाहन की समय सीमा पूरी हो चुकी है, तो सिस्टम ईंधन स्टेशन के कर्मचारियों को सचेत करता है कि वे उसमें पुनः ईंधन न भरें। उल्लंघन को दर्ज कर लिया जाता है और प्रवर्तन एजेंसियों को भेज दिया जाता है, जो उसके बाद वाहन को जब्त करने और ‘कबाड़’ करने जैसी कार्रवाई करती हैं।
हालांकि, इस फैसले पर जनता के असंतोष और आक्रोश के कारण दिल्ली सरकार ने सीएक्यूएम से इस कदम के कार्यान्वयन को रोकने का अनुरोध किया। पांच उच्च घनत्व वाले जिलों में एएनपीआर कैमरों की स्थापना का कार्य 31 अक्टूबर तक पूरा किया जाना है।
वाहन से होने वाले प्रदूषण को कम करना सभी की पहली जिम्मेदारी: गडकरी
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सड़कों पर जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करना सभी हितधारकों की पहली जिम्मेदारी है। उन्होंने यहां एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के एक कार्यक्रम में कहा कि एथनॉल जैसे वैकल्पिक ईंधन को बढ़ावा देकर और बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान से प्रदूषण को प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार दोनों पर सक्रिय रूप से काम कर रही है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि सरकार सड़क बनाने में कचरे का भी इस्तेमाल कर रही है और इस काम में लगभग 80 लाख टन कचरे का इस्तेमाल किया गया है। गडकरी ने कहा, ‘‘हम अपने राजमार्गों पर बारिश का पानी जमा करने जैसे उपायों को अपनाकर जल संरक्षण को भी प्राथमिकता दे रहे हैं।’’
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि एनएचएआई बांस के बागान, घने वृक्षारोपण और हरित गलियारे बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसमें आगे कहा गया कि एनएचएआई ने 2024-25 के दौरान 60 लाख वृक्षारोपण के लक्ष्य के मुकाबले लगभग 67 लाख पेड़ लगाए।