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कोवैक्सिन पूरी तरह सुरक्षित, लक्षण वाले मरीजों पर 77.8 प्रतिशत प्रभावी : अध्यन

By भाषा | Updated: November 12, 2021 18:27 IST

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नयी दिल्ली/हैदराबाद, 12 नवंबर देश में निर्मित भारत बायोटेक की 'कोवैक्सिन' के दो टीके कोविड-19 के लक्षण वाले मरीजों पर 77.8 प्रतिशत प्रभावी है। शोध पत्रिका 'लैंसेट' में कोवैक्सिन के तीसरे चरण के प्रकाशित अंतरिम विश्लेषण में शुक्रवार को यह जानकारी दी गई।

विश्लेषण के अनुसार कोवैक्सिन टीका बिना किसी लक्षण वाले मरीजों को 63.6 प्रतिशत की सुरक्षा प्रदान करता है। देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान सबसे अधिक प्रभावी रहे डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ यह टीका 65.2 प्रतिशत और सार्स-सीओवी-2 वायरस के सभी प्रकारों के खिलाफ 70.8 प्रतिशत कारगर है।

कोवैक्सिन के प्रभाव के बारे में विश्लेषण के अनुसार, देश में निर्मित यह टीका कोविड-19 के गंभीर लक्षणों के खिलाफ 93.4 प्रतिशत प्रभावी है।

हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक की कोवैक्सिन को हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मिली है।

इस अध्ययन के लेखकों के अनुसार कोवैक्सिन के तीसरे चरण में पाया गया है कि यह टीका शरीर में मजबूत प्रतिरक्षा क्षमता (एंटीबॉडी) उत्पन्न करता है। साथ ही परीक्षण में भाग लेने वालों को कोई गंभीर टीका संबंधी परेशानी नहीं हुई और न ही किसी की मौत हुई।

शोधकर्ताओं ने हालांकि यह भी पाया कि यह आंकड़े शुरुआती हैं और गंभीर बीमारी तथा अस्पताल में भर्ती मरीजों पर इसका प्रभाव निर्धारित करने के लिए बड़े पैमाने पर शोध की आवश्यकता है।

पहली और दूसरी टीके की खुराक के बीच रिपोर्ट किए गए मामलों की कम संख्या के कारण शोधकर्ता एक खुराक के बाद टीके के प्रभाव का सटीक विश्लेषण नहीं कर सके।

भारत बायोटेक के चेयरमैन कृष्णा एल्ला ने एक बयान में कहा, ‘‘हमारे उत्पाद विकास और नैदानिक परीक्षणों के आंकड़ों को दस समीक्षा पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया है, जो कोवैक्सिन को दुनिया में सबसे अधिक प्रकाशित कोविड-19 टीकों में से एक बनाती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह उपलब्धि भारत बायोटेक में मेरी टीम के सदस्यों, हमारे जन भागीदारों, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, राष्‍ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान और टीका परीक्षण में भाग लेने वालों लोगों के भरोसे को दर्शाती है।’’

कोवैक्सिन के तीसरे चरण के प्रभाव परीक्षण और सुरक्षा अध्ययन में देश के 25 स्थानों पर 25,800 स्वयंसेवियों को शामिल किया गया है। यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा नैदानिक या क्लिनिकल​​​​ परीक्षण है जो कोविड-19 टीके के लिए किया गया है।

इस उपलब्धि को लेकर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा, ‘‘मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि ‘द लैंसेट’ में कोवैक्सिन के तीसरे चरण के आंकड़ों को भी प्रकाशित किया गया है, जो दुनियाभर में सबसे प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में से एक है। यह आंकड़े अन्य वैश्विक कोविड टीकों के बीच कोवैक्सिन की मजबूत स्थिति को दर्शाते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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