जदयू और भाजपा के बीच रिश्ते कब और कैसे खराब होते चले गए, इसे लेकर कई तरह के कयास जारी हैं। हालांकि, मोड़ 12 जुलाई को आया जब पीएम नरेंद्र मोदी बिहार विधानसभा के शताब्दी वर्ष समारोह में शामिल होने के लिए पटना पहुंचे।
...
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, अनुसूचित जातियों के साथ अपराध के मामलों में वर्ष 2019 में 7.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
...
नीतीश-तेजस्वी को अगले डेढ़ साल तक सरकार इस तरह चलानी पड़ेगी कि महागठबंधन सरकार बदनाम नहीं हो पाए. ये दोनों नेता दबदबे वाले समुदायों से आते हैं. नीतीश कुर्मी समुदाय के पुत्र हैं, और तेजस्वी यादव समुदाय के.
...
चीन और भारत में मतभेद है. इसके बावजूद कई मौकों पर भारत उसकी संतुलित आलोचना करता रहा है. गलवान घाटी जैसे विवाद के बाद भी पिछले दो साल में भारत-चीन व्यापार में अपूर्व वृद्धि हुई है.
...
भारत कम्पनियों द्वारा बनाए गए उत्पादों को 'स्वदेशी' उत्पाद कहते हैं। आजादी से पहले स्वदेशी आन्दोलन की मूल प्रेरणा विदेशी शासन का विरोध करना था। क्या आजादी के बाद भी स्वदेशी का वही अर्थ रह गया है? क्या आजादी के बाद भी स्वदेशी को बढ़ावा देने का जिम्मा
...
देश 75 वर्ष में इस स्थिति में पहुंचा है कि हम जिसके गुलाम थे आज हम उनको केवल आंख में आंख डालकर उनसे बात नहीं करते हैं अपितु दबाव में भी ले आ सकते हैं तो ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है तो इसको हमको गर्व से मनाना चाहिए।
...
केंद्र, राज्य और स्थानीय स्तर पर लोकतांत्रिक रूप से चुने गए जनप्रतिनिधियों ने इन प्रतिकूल परिस्थितियों पर साहसपूर्वक विजय प्राप्त की। कई भारतीय दूसरे देशों में चले गए, सफलता के गुर सीखे और इनमें से कुछ भारत लौट आए। अगले बीस वर्षों तक, इन व्यक्तियों न
...
हम वाकई खुशनसीब हैं. हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं. लोकतंत्र में जी रहे हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया में अब भी कम से कम 83 ऐसे देश हैं जहां के नागरिक गुलामों जैसी जिंदगी जी रहे हैं. कहीं सीधे-सीधे कोई तानाशाह सत्ता दबोच कर बैठा है तो
...
पीएम नरेंद्र मोदी की जो लोकप्रियता साल 2014 में थी वैसी ही 2022 में महसूस होती है। पीएम मोदी की हर एक आवाज पर आज भी पहले की तरह ही देश खड़ा हो उठता है।
...