ब्लॉग: नीतीश कुमार भाजपा से क्यों हुए इतने नाराज? 12 जुलाई को आ गया था टर्निंग प्वाइंट

By हरीश गुप्ता | Published: August 18, 2022 09:34 AM2022-08-18T09:34:02+5:302022-08-18T09:36:17+5:30

जदयू और भाजपा के बीच रिश्ते कब और कैसे खराब होते चले गए, इसे लेकर कई तरह के कयास जारी हैं। हालांकि, मोड़ 12 जुलाई को आया जब पीएम नरेंद्र मोदी बिहार विधानसभा के शताब्दी वर्ष समारोह में शामिल होने के लिए पटना पहुंचे।

Why Nitish Kumar gets so angry with BJP, turning point came on July 12 | ब्लॉग: नीतीश कुमार भाजपा से क्यों हुए इतने नाराज? 12 जुलाई को आ गया था टर्निंग प्वाइंट

नीतीश कुमार भाजपा से क्यों हुए इतने नाराज? (फाइल फोटो)

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा के बीच गठबंधन सरकार के गिरने को लेकर अलग-अलग कारण बताए जा रहे हैं. ऐसे विश्लेषकों की कमी नहीं है जो कहते हैं कि जिस दिन चिराग पासवान ने मार्च 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारने का फैसला किया था और 243 के सदन में जद (यू) 43 सीटों पर सिमट गया था, उसी दिन गठबंधन का भाग्य तय हो गया था. 

यह जद(यू) का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन था. आरसीपी सिंह प्रकरण इंतेहा थी. इस बीच भाजपा और जदयू नेताओं के बीच सार्वजनिक विवाद जारी रहा. यहां तक कि भाजपा के दूत और कैबिनेट मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को भी नीतीश कुमार की आहत भावनाओं को शांत करने के लिए उनके पास भेजा गया था. लेकिन मोड़ 12 जुलाई को आया जब पीएम नरेंद्र मोदी बिहार विधानसभा के शताब्दी वर्ष समारोह में शामिल होने के लिए पटना पहुंचे. 

बिहार विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय द्वारा जारी आमंत्रण पत्र में राज्यपाल फागू चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नाम नहीं थे. दो पन्नों के निमंत्रण पत्र (हिंदी में) में केवल एक ही नाम था; स्पीकर विजय कुमार सिन्हा. इसे सीएम का अपमान माना गया. हालांकि नीतीश कुमार ने समारोह में शिरकत की लेकिन अलगाव तय हो गया. 

नीतीश कुमार के करीबी सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम को हटाना प्रोटोकॉल और सभी मानदंडों के खिलाफ था. बताया जाता है कि प्रधानमंत्री जहां भी किसी समारोह में जाते हैं, निमंत्रण पत्र का मसौदा, मिनट-दर-मिनट कार्यक्रम, आमंत्रितों की सूची आदि पीएमओ द्वारा पूर्व-अनुमोदित होते हैं. 

जद (यू) ने  सोचा कि पीएमओ इस चूक को कैसे नजरअंदाज कर सकता है! स्पीकर भाजपा के थे. यदि भाजपा स्पीकर के माध्यम से शक्ति का आकलन कर रही थी, तो उसे शिकायत नहीं करनी चाहिए कि चार हफ्ते के भीतर अलगाव हो गया.

भाजपा का मिशन झारखंड स्थगित

बिहार के हाथ से जाने के साथ, झामुमो-कांग्रेस गठबंधन सरकार को गिराने की भाजपा की महत्वाकांक्षा कम से कम अस्थायी रूप से थम गई है. दरअसल, खनन सचिव पूजा सिंघल और अन्य पर छापेमारी में भारी मात्रा में नगदी बरामद होने के बाद भाजपा हेमंत सोरेन सरकार को गिराने पर विचार कर रही थी. सोरेन को आरोपियों से जोड़ने के सबूत भी सामने आए. शायद इसी मिशन के तहत तीन कांग्रेस विधायकों को पड़ोसी पश्चिम बंगाल में नगद राशि दी गई थी, जहां उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और अब तक उन्हें अदालत से राहत नहीं मिली है. 

पूरे प्रकरण में भाजपा के एक मुख्यमंत्री की संलिप्तता भी मीडिया में सामने आई. इन विधायकों की गिरफ्तारी और उनके पास से नगदी की बरामदगी ने भाजपा को बैकफुट पर ला खड़ा किया है. यह भी खुलासा हुआ है कि कांग्रेस के कई अन्य विधायकों से भी समझौता किया गया था. लेकिन झारखंड में ‘ऑपरेशन लोटस’ को रोक दिया गया है क्योंकि देश में यह धारणा बन रही है कि भाजपा विपक्षी दलों के विधायकों को लुभाने के लिए नगदी का इस्तेमाल कर रही है. 

हालांकि इस तरह के दावे को पुष्ट करने के लिए कोई सबूत नहीं हैं. भाजपा झारखंड विधायक मामले में राहत के लिए ममता बनर्जी की ओर देख रही है क्योंकि इसकी जांच पश्चिम बंगाल पुलिस कर रही है. यहां तक कि ईडी ने भी नजरंदाज करने का फैसला किया है. हालांकि यह ऐसे प्रत्येक मामले में कदम उठाती है जहां नगदी की वसूली होती है. यह अलग बात है कि सोरेन सरकार शायद ज्यादा दिन नहीं टिक पाएगी.

फिटनेस फ्रीक नड्डा

भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा में इन दिनों स्वास्थ्य के प्रति एक नया जोश है. उन्होंने लगभग 8 किलो वजन कम किया है तथा आगे और भी कम करने का इरादा रखते हैं. वे लगभग एक घंटे के लिए अपने मोतीलाल नेहरू मार्ग स्थित आवास पर या अपने बेहद व्यस्त कार्यक्रम के बीच जहां भी मौका मिलता है, सुबह की कसरत करते हैं. 

यात्रा के दौरान भी, वे अपनी सुबह की ड्रिल करने के लिए जगह ढूंढ़ते हैं. उन्होंने अपने आवास पर एक जिम स्थापित किया है और सुबह योग करते हैं. यह सुनिश्चित करने के लिए एक कोच है कि हर मुद्रा सही हो. हालांकि वे 2020 में भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद बेहद व्यस्त हैं लेकिन 61 साल की उम्र में वजन बढ़ाने का जोखिम नहीं उठा सकते. 

यहां तक कि प्रधानमंत्री भी अपने मंत्रियों, सहयोगियों और पार्टी नेताओं को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने और नियमित योगाभ्यास करने के लिए आगाह करते रहे हैं. कई कैबिनेट मंत्रियों ने अपने आवास पर छोटे-छोटे जिम बनाए हैं. उनमें से कई मॉर्निंग वॉक के लिए भी जाते हैं. दिल्ली के अधिकांश भाजपा सांसदों को सुबह-सुबह दिल्ली के बगीचों में दौड़ते हुए देखा जा सकता है जो स्वास्थ्य के प्रति सतर्कता को दर्शाता है. 

दरअसल, पीएम ने पटना में 12 जुलाई के समारोह में राजद नेता तेजस्वी यादव को सलाह भी दी थी, ‘थोड़ा वजन कम करो.’ मोदी खुद नियमित रूप से योग करने के लिए जाने जाते हैं. हालांकि तेजस्वी का पिछले साल शादी के बाद वजन बढ़ा है लेकिन उन्होंने इन दिनों पीएम की सलाह को काफी गंभीरता से लिया है. वे अब उपमुख्यमंत्री हैं, लेकिन दिन की जल्दी शुरुआत करते हैं और लगभग एक घंटा स्वास्थ्य के लिए देते हैं. तेजस्वी अपने आवास पर टेबल टेनिस भी खेलते हैं. वे क्रिकेटर भी रहे हैं.

Web Title: Why Nitish Kumar gets so angry with BJP, turning point came on July 12

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