ऋतुपर्ण दवे
आतंकियों की गोलियों से असमय हुईं विधवा और उन जैसी दूसरी के चीत्कार से समूची दुनिया हक्का-बक्का थी. पहली बार आताताइयों ने सुहागनों के सिंदूर को उनके सामने गोलियों से छलनी किया. निश्चित रूप से भारत और बाकी दुनिया ऐसी नृशंस और विकृति से भरी आतंकी घटना को शायद ही कभी भूल पाए. कम से उन विधवाओं को जीवनभर वो शब्द कानों में गूंजते रहेंगे “तुम्हें नहीं मारेंगे, जाओ मोदी को बता देना.....” धर्म पूछकर छलनी करने वाले इन आतंकियों को नवविवाहताओं पर भी जरा रहम नहीं आई. स्वतंत्रता के बाद से ही भारत की आंखों की किरकिरी बने नापाक पाकिस्तान को इस बार भी लगा होगा कि भारत थोड़ी चीख-चिल्लाहट करेगा और शांत हो जाएगा. शायद ऐसे सटीक और माकूल जवाब ऑपरेशन सिंदूर को लेकर पाकिस्तान ने सपने भी ऐसा जवाब नहीं सोचा होगा.
भारत ने बिना पाकिस्तानी एयर स्पेस में घुसे जो सटीक और अचूक निशानों से दहशत के ठिकानों को रौंदा है उससे तकनीकी और मारक क्षमता दोनों जग जाहिर हुई. यह यकीनन सैन्य दृष्टि से दुनिया में सर्वश्रेष्ठ प्रयास के रूप में दर्ज होना है. चीन को लेकर भारत ज्यादा चिंतित नहीं है. चीन कभी नहीं चाहेगा कि भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हो.
उसने 2005 से 2024 के बीच करीब 68 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश वहां कर रखा है. वहीं अमेरिकी टैरिफ से त्रस्त चीन. भारत में बहुत बड़े बाजार का सपना देख रहा है. यह भी सच है कि कई कारणों से पाकिस्तान में तमाम चीनी परियोजना पर संकट ही संकट है. यकीनन तनाव बढ़ने से चीन के सारे सपने टूटेंगे.
कर्ज से परेशान पाकिस्तान को एफएटीएफ यानी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की कठोर कार्रवाइयों से बचाने आगे चीन कैसी मदद देगा, सवालों में है. अभी तो उसे पाकिस्तान में ही अपने नागरिकों की सुरक्षा की जबरदस्त चिंता है. ऐसे में भला चीन क्यों चाहेगा कि नया तनाव बढ़े और उसकी परियोजनाएं खतरों में आ जाएं. उधर उसका ग्वादर पोर्ट पाकिस्तान में तैयार है.
पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में हमारा ऑपरेशन सिंदूर अभी अधूरा है. हालांकि दुनिया मान बैठी कि जब तक पाकिस्तानी आतंकियों के सारे ठिकाने भारत नेस्तनाबूद नहीं कर देगा, शांत बैठने वाला नहीं. अभी पीओके में कम से कम 21 ठिकाने चिन्हित हैं जिसे रौंदना है.