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ब्लॉग: सावधान! ई-कचरे से बेपरवाही अब पहुंचा सकती है सलाखों के पीछे, दायरे में 21 की जगह अब 106 वस्तुएं

By पंकज चतुर्वेदी | Published: April 25, 2023 2:54 PM

एक अनुमान के अनुसार इस साल कोई 33 लाख मीट्रिक टन ई-कचरा उत्पादित होगा. यदि इसके सुरक्षित निपटारे के लिए अभी से प्रयास नहीं हुआ तो धरती, हवा और पानी में इतना जहर घुल जाएगा कि उससे निपटना मुश्किल हो जाएगा.

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पहली अप्रैल से प्रभावी हो गए ई-वेस्ट मैनेजमेंट नियम को अब सख्ती से लागू किया जाएगा. इस कानून के मुताबिक ई-कचरा पैदा करने वाले को ही उसके निष्पादन की जिम्मेदारी भी उठानी होगी. ऐसा न करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा, जिसमें उन्हें जुर्माना और जेल दोनों ही भुगतना पड़ सकता है.

ई-कचरे के दायरे में 21 वस्तुओं की जगह अब 106 वस्तुओं को शामिल किया गया है, जिसमें मोबाइल चार्जर से लेकर घरों में इस्तेमाल की जाने वाली सभी छोटी-बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल चीजें, इनमें खराब हो चुकी या लाइफ पूरी कर चुकी इलेक्ट्रॉनिक चीजें शामिल हैं. 

इलेक्ट्रिक कचरे में मुख्य रूप से बिजली और बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों कम्प्यूटर, मोबाइल फोन, टीवी, वाशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर समेत तमाम चीजें आती हैं.

अब पंचायतों एवं नगर निकायों को इस कचरे के निष्पादन के लिए कलेक्शन सेंटर स्थापित करने होंगे. इलेक्ट्रिक कचरे का बड़े स्तर पर उत्पादन करने वाले उपभोक्ता, जिनमें सरकारी दफ्तर, बैंक समेत कई बड़ी एजेंसियां शामिल हैं, उनके लिए इन नियमों में जरूरी किया गया है कि वे ई-कचरे को रीसाइक्लिंग व कलेक्ट करने वाली पंजीकृत एंजेसी को प्रदान करें. इसके तहत ई-कचरे के संग्रहण और रीसाइक्लिंग की जिम्मेदारी री-साइक्लर की होगी. इसके बदले उन्हें ई-कचरे से निकलने वाली कीमती धातुएं मिलेंगी. 

साथ ही वह जितना ई-कचरा री-साइकिल करेंगे, उतनी मात्रा का सर्टिफिकेट ब्रांड उत्पादकों को बेच सकेंगे. सभी 106 वस्तुओं को तैयार करने वाले उत्पादकों को पोर्टल पर खुद को रजिस्टर्ड कराना जरूरी होगा. इसके अलावा सभी री-साइकिल को भी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा और उसी आधार पर ही उन्हें नए उत्पादन की अनुमति मिलेगी. हमारी सुविधाएं, विकास के प्रतिमान और आधुनिकता के आईने जल्दी ही हमारे लिए गले का फंदा बनने वाले हैं. 

पर्यावरण और वन मंत्रालय की वेबसाइट कहती है कि वर्ष 2021-22 में देश में कुल उत्पन्न 16,01,155  टन ई-कचरे का महज 32.9  फीसदी ही पुनर्चक्रित किया जा सका. जाहिर है कि शेष 67 प्रतिशत कचरा यूं ही किसी कूड़ा घर में प्रकृति  को जहर बना रहा है. 

एक अनुमान है कि इस साल कोई 33 लाख मीट्रिक टन ई-कचरा उत्पादित हो जाएगा और यदि इसके सुरक्षित निपटारे के लिए अभी से काम नहीं किया गया तो देश की धरती, हवा और पानी में इतना जहर घुल जाएगा कि उसका निदान होना मुश्किल  होगा. कहते हैं न कि हर सुविधा या विकास की माकूल कीमत चुकानी ही होती है, लेकिन इस बात का नहीं पता था कि इतनी बड़ी कीमत चुकानी होगी.

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