किसान मेहनत कर सकता है, अच्छी फसल दे सकता है, लेकिन सरकार में बैठे लोगों को भी उसके परिश्रम के माकूल दाम, अधिक माल के सुरक्षित भंडारण के बारे में सोचना चाहिए। ...
जून 2022 में गोविंदबल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान (जीबीएनआईएचई) द्वारा जारी रिपोर्ट 'एनवायरनमेंटल एसेसमेंट ऑफ टूरिज्म इन द इंडियन हिमालयन रीजन' में कड़े शब्दों में कहा गया था कि हिमालयी क्षेत्र में बढ़ते पर्यटन के चलते हिल स्टेशनों पर द ...
जिन पहाड़ों, पेड़ों, नदियों ने पांच हजार साल से अधिक तक मानवीय सभ्यता, अध्यात्म, धर्म, पर्यावरण को विकसित होते देखा था, वह बिखर चुके थे। न सड़क बच रही है न मकान, न ही नदी के किनारे। सरकार ने भी कह दिया कि जोशीमठ को खाली करना होगा। ...
कभी कानपुर के चमड़ा कारखाने वहां की शान हुआ करते थे, आज यही यहां के जीवन के लिए चुनौती बने हुए हैं. रानिया, कानपुर देहात और राखी मंडी, कानपुर नगर आदि में गंगा में अपशिष्ट के तौर पर मिलने वाले क्रोमियम की दहशत है. वह तो भला हो एनजीटी का जो क्रोमियम कच ...
तीस्ता नदी का 83 फीसदी हिस्सा भारत में और 17 फीसदी हिस्सा बांग्लादेश में है. सिक्किम और उत्तरी बंगाल के छह जिलों के करीब एक करोड़ बाशिंदे खेती, सिंचाई और पेयजल के लिए इस पर निर्भर हैं. ...
झारखंड में आदिम जनजातियों की संख्या कम होने के आंकड़े बेहद चौंकाते हैं जो कि सन् 2001 में तीन लाख 87 हजार से घट कर सन् 2011 में दो लाख 92 हजार रह गई. ...
यह सरकारी आंकड़ा भयावह है कि गत बीस सालों में देश में सीवर सफाई के दौरान 989 लोग जान गंवा चुके हैं। राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की रिपोर्ट कहती है कि सन् 1993 से फरवरी 2022 तक देश में सीवर सफाई के दौरान सर्वाधिक लोग तमिलनाडु में 218 मारे गए। ...