Lok Sabha Elections 2024: इंडिया गठंधन के द्वारा सीटों के तालमेल को भले ही कोई गंभीर मामला नही बताया जा रहा हो, लेकिन बिहार के 40 लोकसभा सीटों पर तालमेल करने में इंडिया गठबंधन गांठे खोलना कम टेढ़ी खीर साबित नही होगी।
बिहार में कांग्रेस व वामदलों (भाकपा, माकपा व भाकपा माले) की मांग को पूरा करने के लिए जदयू और राजद को बड़ा दिल दिखाना पड़ेगा, जो आसान नहीं माना जा रहा है। अभी से ही भाकपा-माले नौ सीटों की दावेदारी संबंधी सूचि राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के पास भेज दी है। बिहार में सियासी समीकरण पिछले लोकसभा चुनाव से अलग बन चुके हैं।
एनडीए और महागठबंधन (इंडिया) के कुछ साथी पाला बदल चुके हैं। एनडीए से नाता तोड़ जदयू अब राजद सहित कांग्रेस और वामदलों के साथ आ गई है, जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में वामदल किसी के साथ नहीं थे। वहीं, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) एवं उपेंद्र कुशवाहा एनडीए के साथ जुड़ चुके हैं।
पिछले चुनाव में एनडीए के साथ रहे जदयू ने 17 सीटों पर लड़कर 16 में जीत दर्ज की थी, जिनमें आठ सीटों पर राजद व पांच पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी। वहीं, 19 सीटों पर लड़ने के बावजूद राजद के हाथ एक भी सीट नहीं लगी थी। जबकि नौ सीटों पर लड़ी कांग्रेस एक पर ही कब्जा जमा पाई थी।
किशनगंज की यही एकमात्र सीट एनडीए के हाथ से फिसली थी। ऐसे में इसबार इंडिया के साथी दल जदयू, राजद, कांग्रेस व वामदल ज्यादा से ज्यादा सीटें चाहते हैं। शायद यही कारण है कि अभी से हीं सभी दलों से सीटों के लिए प्रस्ताव मांगा जाने लगा है। माले ने नौ सीटों पर दावेदारी कर दी है। जबकि भाकपा व माकपा भी अपनी केंद्रीय कमेटी को क्रमश: दो व चार सीटों का दावा भेज चुकी हैं।
उधर पिछले चुनाव में नौ सीटों पर लड़ी कांग्रेस इसबार 15-16 सीट चाहती है। उसका दावा है कि कांग्रेस की स्थिति पहले से बेहतर हुई है। वहीं. विधानसभा में सबसे बड़ा दल राजद भी जदयू से कम पर समझौता नहीं करने के मूड में नही है। हालांकि 2019 के फार्मूले के अनुसार राजद का दावा 19 सीट पर ही है, लेकिन माना जा रहा है कि 16सीट पर वह मान जा सकती है।
वहीं, नीतीश कुमार कुछ सीट छोड सकते हैं। पिछली बार सीतामढ़ी, झंझारपुर, मधेपुरा, गोपालगंज, सीवान, भागलपुर, बांका और जहानाबाद में राजद दूसरे नंबर पर रहा था। जबकि वाल्मीकिनगर, सुपौल, कटिहार, पूर्णिया और मुंगेर में कांग्रेस को जदयू से पराजय झेलनी पड़ी थी। इन सीटों पर एक-दूसरे की दावेदारी हो सकती है।
उधर, बेगूसराय में दूसरे नंबर पर रही भाकपा के प्रत्याशी कन्हैया कुमार अब कांग्रेस में हैं। इसलिए कांग्रेस का इस सीट पर दावा कर सकती है, जबकि भाकपा इसे अपनी परंपरागत सीट मान रही है। उसी तरह वाल्मीकिनगर में लगातार तीन चुनाव (दो आम चुनाव व एक उप चुनाव) से कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही है। ऐसे में सभी सीटों का समीकरण पर गौर करें तो महागठबंधन में गांठ खोलना एक बडी चुनौती होगी।